सार

इस साल भारत में मानसून में देश के कई हिस्सों में भारी बारिश और बड़े पैमाने पर बाढ़ जैसी आपदाएं आई हैं। मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल मानसून सामान्य या उससे ऊपर रहने की संभावना है। इस साल सितंबर में ज्यादा बारिश का अनुमान है। 

नई दिल्ली. इस साल भारत में मानसून में देश के कई हिस्सों में भारी बारिश और बड़े पैमाने पर बाढ़ जैसी आपदाएं आई हैं। मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल मानसून सामान्य या उससे ऊपर रहने की संभावना है। इस साल सितंबर में ज्यादा बारिश का अनुमान है। अधिक बारिश से उपभोक्ताओं के लिए कुछ बुरी खबरें आई हैं और दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और चंडीगढ़ आदि राज्यों में सब्जी की कीमतों में 50% तक की वृद्धि हुई है।

LocalCircles ने हाल ही में एक सर्वे किया है कि ताकि समझा जा सके कि लोगों को प्याज, आलू, और टमाटर जैसी सब्जियां ज्यादा दामों पर खरीदने में कैसा अनुभव रहा है। इसके अलावा LocalCircles ने यह भी समझने की कोशिश की लोगों ने कोरोना काल में जरूरी सामान और राशन में कितना खर्च किया। 
 
सर्वे में 15 हजार लोगों ने लिया हिस्सा
इस सर्वे में 216 जिलों के 15  हजार लोगों ने हिस्सा लिया। यह लोग ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरों और मेट्रो शहरों से थे। 
 
सवाल- नागरिकों से पूछा गया था कि उन्होंने आखिरी बार टमाटर, प्याज और आलू की खरीद में कितने रुपए प्रतिकिलो का भुगतान किया?
इस सवाल के जवाब में करीब 40% लोगों ने कहा, उन्होंने 70 या उससे अधिक रुपए टमाटर के लिए, 35 रुपए आलू और 30 रुपए प्याज के लिए खर्च किए। वहीं, 21% लोगों ने कहा कि उन्होंने टमाटर के लिए 60-69 रु, आलू के लिए 30-34 रुपए और प्याज के लिए 25-29 रुपए खर्च किए। जबकि 19% लोगों ने टमाटर के लिए 40-59 रुपए, आलू के लिए 20-29  और प्याज के लिए 15-24 रुपए भुगतान किया। 


source- LocalCircles

7% लोगों ने कहा, उन्होंने 39 रुपए या उससे कम  में टमाटर खरीदे, वहीं, आलू के लिए 19 रुपए और प्याज के लिए 14 रुपए से कम खर्च किया। इससे साफ होता है कि 61% लोगों ने टमाटर पर 60 रुपए प्रति किलो से ज्यादा, जबकि आलू पर 30 रुपए और प्याज पर 25 रुपए खर्च किए। सब्जी की कीमतों में वृद्धि का मुख्य कारण बारिश, लेबर की कमी और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा है। 

31 अगस्त तक 2 करोड़ लोगों ने खोई नौकरी
हाल ही में जारी CMIE के डाटा के मुताबिक, 31 अगस्त तक 2.1 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई। वहीं, आवश्यक की कीमतों में वृद्धि से उच्च साप्ताहिक खर्चों में इजाफा हो रहा है। 

सवाल: लोगों से पूछा गया कि पिछले 6 महीनों में मासिक किराने और आवश्यक सामानों की खरीद में कितना परिवर्तन आया?
इस सवाल के जवाब में 44% लोगों ने कहा कि उनके खर्चे बढ़ गए हैं, जबकि कमाई कम हुई है। वहीं, 10% लोगों ने कहा, कमाई में कमी आई है, लेकिन खर्चे पहले जैसे ही हो रहे हैं। वहीं, 17% कि उनकी आय और खर्चे पर कोई अंतर नहीं पड़ा है। 19% लोगों ने कहा कि खर्चे बढ़े हैं, लेकिन कमाई बराबर है। सिर्फ 2% लोग ऐसे थे, जिनका खर्च कम हो गया और कमाई बढ़ी है। जबकि 2% लोगों का कहना है कि उनके खर्च कम हुए हैं और पैसा पहले जितना ही मिल रहा है। 


source- LocalCircles

इस सर्वे के मुताबिक, 73% लोगों को कम पैसे मिल रहे हैं, जबकि उनका खर्च पहले की तुलना में ज्यादा बढ़ गया है। लॉकडाउन और जमाखोरी के चलते मार्च और अप्रैल में लोगों को सब्जियों के साथ-साथ अन्य पैकेट बंद सामानों को भी एमआरपी से ज्यादा कीमत पर खरीदना पड़ा। 
 
वहीं, ज्यादा बारिश के चलते फसलों में नुकसान भी सब्जियों की कीमत में इजाफे का मुख्य कारण है। वहीं, कोरोना और लॉकडाउन ने लोगों के लिए चिंता और अनिश्चित्ता का भाव पैदा हुआ है। 

कोरोना के चलते आर्थिक संकट के चलते कई नागरिक पहले ही नौकरियां खो चुके हैं, वहीं, उनपर अब महंगाई की दोहरी मार पड़ रही है। केंद्र सरकार को विभिन्न राज्य सरकारों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी होगी कि इन आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में लाया जाए ताकि नागरिकों को राहत की सांस मिल सके।

कैसे हुआ सर्वे?
इस सर्वे में 15 हजार लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें से 63% लोग टियर 1, 24% लोग टियर 2 और  13% लोग टियर 3, 4 और ग्रामीण इलाकों के हैं। यह सर्वे LocalCircles प्लेटफॉर्म पर हुआ है। इसमें LocalCircles पर रजिस्टर्ड लोगों ने हिस्सा लिया है।