सार
कोरोना महामारी में लगभग हर किसी को कारोबार में घाटा हुआ है, लेकिन कर्नाटक की राजधानी बेंगुलरु में इंदिरा कैंटीन की कमाई बढ़ गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले चार महीनों में इंदिरा कैंटीन की कमाई में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कैंटीन के लोगों ने इसके पीछे की वजह भी बताई।
बेंगलुरु. कोरोना महामारी में लगभग हर किसी को कारोबार में घाटा हुआ है, लेकिन कर्नाटक की राजधानी बेंगुलरु में इंदिरा कैंटीन की कमाई बढ़ गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले चार महीनों में इंदिरा कैंटीन की कमाई में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कैंटीन के लोगों ने इसके पीछे की वजह भी बताई।
लॉकडाउन में कैसे बढ़ी कमाई?
कैंटीन की कमाई बढ़ने की तीन वजह है, पहला खाने की कीमत, दूसरा खाना तौल कर देना, तीसरा, खाना घर पर ले जाने की सुविधा, चौथी वजह बाकी की सभी कैंटीन बंद थीं। यहां पर 30 रुपए में भरपेट खाना खा सकते हैं। खाना कम लगे तो उसे तौल सकते हैं। तीसरा खाना घर पर ले जाकर खा सकते हैं, इससे सोशल डेस्टिंसिंग का पूरा पालन हो सकेगा। चौथी वजह थी कि लॉकडाउन में बाकी सभी दुकाने बंद थीं। ऐसे में सभी कस्टमर्स इनके पास आ गए।
30 रुपए में भरपेट खाना
कैंटीन की खासियत है कि यहां 30 रुपए में भरपेट खाना खा सकते हैं। दरअसल, मार्च अप्रैल में लॉकडाउन के दौरान करीब 161 इंदिरा कैंटीन सुबह 6 बजे से लेकर रात 8 बजे तक चलती थीं। हालांकि इस दौरान कुछ लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन किया तो कैंटीन को बंद करना पड़ा।
एक हफ्ते बाद फिर खुली कैंटीन
एक हफ्ते बाद फिर से कैंटीन खुली। लेकिन इस बार एक शर्त रखी गई। खाना कैंटीन में मिल तो जाता था, लेकिन वहां पर खाने की इजाजत नहीं थी। खाना घर पर ले जाकर खाना होता था। इससे वहां पर भीड़ लगना बंद हो गई। कमिश्नर वेंकटेश के मुताबिक, खाना सस्ता होने के कारण ही लोग यहां आते हैं यहां खाना सिर्फ 30 रुपए का है।
"जरूरतमंद और मजदूर खाते हैं खाना"
बीबीएमपी के स्पेशल कमिश्नर वेंकटेश कहते हैं, हम पिछले लॉकडाउन में भी लोगों को खाना दे रहे थे। आगे भी देते रहेंगे। यहां पर ज्यादातर जरूरतमंद और मजदूर आते हैं। उन्हे लॉकडाउन में खाना खिलाया और आगे भी खिलाते रहेंगे। भले ही कैंटीन में आने वाले लोगों की संख्या कम हुई, लेकिन बिक्री लगभग 30 प्रतिशत ज्यादा हो गई।