सार

लगातार हाशिये पर जा रही कांग्रेस पार्टी के पुनर्जीवित होने की एक और उम्मीद खत्म हो गई। चुनावी रणनीतिकार प्रशांति किशोर ने पार्टी में शामिल होने से इंकार कर दिया। लेकिन इसके पीछे क्या वजह रहीं, यह किसी को नहीं मालूम। राहुल गांधी का पार्टी की बैठकों से अलगाव और कई ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से प्रशांत किशोर ने आने से पहले ही कांग्रेस को बाय कर दिया। 

नई दिल्ली। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पहले दिन ही भविष्यवाणी कर दी थी कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे। यही नहीं, कांग्रेस के कई नेताओं को लगा था कि किशोर अन्य पार्टियों के साथ कांग्रेस का इस्तेमाल करना चाहते हैं। पार्टी सूत्रों ने प्रशांत के एक करीबी सूत्र के हवाले से कहा कि उनके कांग्रेस में शामिल न होने की शंका बनी हुई थी। प्रशांत किशोर को दो दिन पहले कांग्रेस के एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024 के तहत चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी की पेशकश की गई थी। लेकिन मंगलवार को उन्होंने कांग्रेस का यह प्रस्ताव ठुकरा दिया।  मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप का हिस्सा रहे पी चिदंबरम का कहना है कि प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल होने की पेशकश सोमवार को की गई थी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।  सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर या तो कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव या उपाध्यक्ष बनना चाहते थे। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने पहले दिन ही कहा था कि पीके कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे। गौरतलब है कि पीके ने इससे पहले 8 बार कांग्रेस में शामिल होने की बात की है, लेकिन वे कभी पार्टी में शामिल नहीं हुए।

कांग्रेस को विश्वसनीय नहीं लगे पीके : 
सूत्रों का कहना है कि पीके ने कांग्रेस नेताओं के सामने पार्टी को रीफॉर्म करने का रोडमैप पेश करने के लिए एक बैठक बुलाने की मांग की। लेकिन राहुल गांधी इसमें गर्मजोशी से शामिल नहीं दिखे। इसके बाद पीके ने प्रियंका गांधी से मिलने पर जोर दिया। कांग्रेस नेताओं ने पीके के प्रस्तावों पर गंभीरता से विचार किया, लेकिन पीके से सावधान रहने की बात सामने आई। पीके के प्रस्ताव का आकलन करने वाले पैनल के कई लोगों ने महसूस किया कि पीके विश्वसनीय नहीं हैं और उन्होंने अन्य पार्टियों के साथ काम जारी रखते हुए कांग्रेस के मंच का उपयोग करने की योजना बनाई।

बैठक की बजाय राहुल विदेश चले गए, यह अलगाव भी बड़ी वजह 
प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों का दावा है कि भले ही पार्टी नेताओं ने पीके की योजनाओं का समर्थन किया हो, लेकिन पीके को इस बार पर जरदस्त संदेह था कि पार्टी कड़े फैसले लेने में कितना निवेश करेगी। यही नहीं, पीके की बैठक में शामिल न होकर राहुल गांधी ने इस संदेह को और बढ़ा दिया। पीके के करीबी सूत्रों का कहना है कि पार्टी के दृष्टिकोण के बजाय राहुल गांधी बैठक में नहीं शामिल हुए और विदेश यात्रा पर निकल गए, जबकि वे अपनी यात्रा पार्टी के लिए स्थगित कर सकते थे। राहुल गांधी के अलगाव के विपरीत हर बैठक में प्रियंका गांधी की मौजूदगी थी, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मौजूद रहीं। 2017 के यूपी चुनाव में पीके के साथ पार्टी की स्थिति के चलते प्रियंका भी असमंजस में थीं, क्योंकि उस समय पार्टी की बुरी हार हुई थी।   

फ्री हैंड प्रशांत चाहते थे : 
एक बड़ा मुद्दा यह भी था कि पीके ने पार्टी में बड़े स्तर पर बदलावों की जरूरत बताई थी, जिससे कई नेता परेशान थे। यही नहीं, प्रशांत किशोर एक भी समिति की सदस्यता के लिए तैयार नहीं थे। वह सोनिया गांधी से सीधे संपर्क और फ्री हैंड चाह रहे थे।