राजस्थान पुलिस ने सचिन पायलट के मीडिया मैनेजर लोकेंद्र सिंह और आज तक न्यूज़ चैनल के पत्रकार शरत कुमार के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है। पुलिस का आरोप है कि ये लोग जैसलमेर के होटल में ठहरे विधायकों के फ़ोन टैप किए जाने को लेकर भ्रामक और ग़लत ख़बरें फैला रहे थे।

जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में 35 दिन तक चले राजनीतिक घमासान में सियासी दिग्गज अशोक गहलोत और सचिन पायलट का झगड़ा जैसे-तैसे शांत हो पाया था। दरअसल, राजस्थान पुलिस ने सचिन पायलट के मीडिया मैनेजर लोकेंद्र सिंह और आज तक न्यूज़ चैनल के पत्रकार शरत कुमार के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है। 

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पुलिस का आरोप है कि ये लोग जैसलमेर के होटल में ठहरे विधायकों के फ़ोन टैप किए जाने को लेकर भ्रामक और ग़लत ख़बरें फैला रहे थे। राजस्थान में चले पॉलिटिकल ड्रामे के दौरान पायलट कैंप ने आरोप लगाया था कि अशोक गहलोत अपने ही खेमे के विधायकों के फ़ोन टैप करवा रहे हैं। हालांकि राजस्थान पुलिस ने इससे इनकार किया था। मालूम हो कि गहलोत ने अपने कैंप के विधायकों को जयपुर और जैसलमेर जबकि पायलट ने अपने विधायकों को मानेसर में रखा था। 

पायलट गुट का दावा- रिजॉर्ट में जैमर लगाए गए

पायलट गुट की ओर से इस बारे में एक डॉक्यूमेंट भी जारी कर दावा किया गया था कि अजायब इलेक्ट्रॉनिक्स की ओर से सूर्यगढ़ रिजॉर्ट में चार जैमर भी लगाए गए हैं। पायलट गुट की ओर से कहा गया था कि रिजॉर्ट के इंटरकॉम से की जा रही कॉल्स को रिकॉर्ड किया जा रहा है। 

पुलिस के मुताबिक फेक न्यूज हुई शेयर

अगस्त महीने में हुए इस घटनाक्रम के बाद अब 1 अक्टूबर को दर्ज एफ़आईआर में पुलिस अफ़सर सत्यपाल सिंह ने कहा है कि कांस्टेबल सुरेंद्र यादव ने उसे दिखाया कि जैसलमेर में ठहरे विधायकों के फ़ोन रिकॉर्ड किए जाने को लेकर वॉट्स ऐप पर फ़ेक न्यूज़ शेयर की जा रही है। सत्यपाल सिंह जयपुर पुलिस कमिश्नर के ऑफ़िस में तैनात हैं। 

एफ़आईआर में कहा गया है कि एसएचओ सुरेंद्र पंचोली ने जब इस मामले की तहकीकात की तो उन्होंने पायलट के मीडिया मैनेजर लोकेंद्र सिंह और पत्रकार शरत कुमार के बयान दर्ज किए और इस संबंध में पत्रकार द्वारा दिखाई गई टीवी रिपोर्ट को भी वैसा ही लिखा। एफ़आईआर में कहा गया है कि लोकेंद्र सिंह कोई न्यूज़ एजेंसी चलाते हैं। लोकेंद्र सिंह का बयान 20 अगस्त को दर्ज किया गया था। इसी को लेकर शरत कुमार का कहना है कि सभी न्यूज़ चैनल्स ने यह स्टोरी सुबह से शाम तक चलाई थी लेकिन एक ही चैनल को क्यों निशाने पर लिया जा रहा है।