सार
राजस्थान हाईकोर्ट से सचिन पायलट गुट को राहत मिलने के बाद अब अशोक गहलोत कैंप में हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की गई। सूत्रों की माने तो राज्यपाल कलराज मिश्र ने अभी कोरोना संकट का हवाला देते हुए इनकार कर दिया है, जिसके बाद विधायक धरने पर बैठ गए।
जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट से सचिन पायलट गुट को राहत मिलने के बाद अब अशोक गहलोत कैंप में हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की गई। सूत्रों की माने तो राज्यपाल कलराज मिश्र ने अभी कोरोना संकट का हवाला देते हुए इनकार कर दिया है, जिसके बाद विधायक धरने पर बैठ गए। कुछ देर बाद राज्यपाल बाहर आए और कहा, इतने शॉर्ट नोटिस में विधानसभा सत्र नहीं बुला सकते हैं। उधर, गहलोत ने रात 9.30 कैबिनेट बैठक बुलाई।
राज्यपाल ने लगाई गहलोत को फटकार
इसी बीच राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने लिखा, इससे पहले कि मैं विधानसभा सत्र के संबंध में विशेषज्ञों से चर्चा करता, आपने पहले ही सार्वजनिक तौर पर कह दिया कि अगर कोई राजभवन का घेराव करता है तो यह आपकी जिम्मेदारी नहीं होगी।
अगर आप और आपका गृह मंत्रालय राज्यपाल की रक्षा नहीं कर सकता तो राज्य की कानून व्यवस्था का क्या? राज्यपाल की सुरक्षा के लिए कौन सी एजेंसी से संपर्क किया जाए। मैंने इस तरह का कभी कोई बयान किसी मुख्यमंत्री से नहीं सुना। आपके विधायक राज भवन में प्रदर्शन कर रहे हैं। क्या यह गलत शुरुआत नहीं है?
रात 7.30 बजे धरने से उठे विधायक
कांग्रेस विधायक फिलहाल धरने से उठ गए हैं। सभी कांग्रेसी विधायक होटल के लिए रवाना हुए। इसके बाद गहलोत की कैबिनेट बैठक हुई।
- राज्यपाल से मुलाकात के बाद सीएम गहलोत ने कहा, राज्यपाल एक संवैधानिक पद, उन्हें दबाव में नहीं आना चाहिए, मुझे पूरा विश्वास कि वो जल्द अपना फैसला सुनाएंगे। उन्होंने कहा, सत्ता पक्ष कह रहा विधानसभा सत्र बुलाएं, और विपक्ष कह रहा हम विधानसभा सत्र की मांग ही नहीं कर रहे, ये सब पहेली समझ के परे है।
मेरी भाषा धमकाने वाली नहीं: गहलोत
उन्होंने कहा, मेरी भाषा धमकाने वाली नहीं। ये राजनीतिक भाषा होती है। यहां राजभवन में भैरों सिंह शेखावत भी धरने पर बैठे थे। नए भाजपा नेताओं को ये बात नहीं पता, इसलिए कुछ भी बोल रहे हैं।
"सोमवार से विधानसभा शुरू करना चाहते हैं"
अशोक गहलोत ने कहा, हम लोग सोमवार से विधानसभा शुरू करना चाहते हैं, वहां दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। हमारे पास स्पष्ट बहुमत है, हमें कोई दिक्कत नहीं है। चिंता हमें होनी चाहिए सरकार हम चला रहे हैं, परेशान वो हो रहे हैं।
"जनता राजभवन का घेराव कर सकती है"
अशोक गहलोत ने अक्रामक बयान देते हुए कहा कि अगर राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति नहीं दी तो जनता राजभवन का घेराव करने पहुंत सकती है उसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी।
सचिन पायलट को हाईकोर्ट से मिली राहत ?
राजस्थान में अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट की लड़ाई पर हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। पायलट गुट के लिए राहत भरी खबर है। कोर्ट ने कहा कि यथास्थिति बरकरार रहेगी, यानी 14 जुलाई को स्पीकर ने जो नोटिस दिया था, उसपर स्पीकर कोई कार्रवाई नहीं करे। स्पीकर ने सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 बागी विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसके खिलाफ विधायक हाईकोर्ट पहुंच गए थे। इस मामेल में केंद्र को पक्षकार बनाने की पायलट खेमे की याचिका को कोर्ट ने मंजूर कर लिया है।
हाईकोर्ट ने कहा, यथा स्थिति बरकरार
हाईकोर्ट ने कहा, यथा स्थिति बरकरार रहेगी। यानी अभी जो स्थिति है वही रहेगी। स्पीकर अपने द्वारा दिए गए नोटिस पर कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को फैसला लेगा।
स्पीकर कब ले सकता है एक्शन
कोर्ट ने सिर्फ इस मामले पर स्पीकर के एक्शन पर रोक लगाई है, लेकिन अगर इस दौरान विधानसभा सत्र बुलाया जाता है, या व्हिप जारी किया जाता है और बागी विधायक शामिल नहीं होते हैं तो स्पीकर उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
स्पीकर ने 14 जुलाई को जारी किया था नोटिस
राजस्थान विधानसभा स्पीकर ने 14 जुलाई को सचिन पायलट सहित 19 कांग्रेस के बागी विधायकों को नोटिस जारी कर जबाव मांगा था कि वे विधायक दल की बैठक में शामिल क्यों नहीं हुए? लगातार दो दिनों तक कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी।
24 जुलाई तक कार्रवाई न करने का आदेश
स्पीकर नोटिस के खिलाफ सचिन पायलट की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। उसमें कहा गया कि विधानसभा की कार्यवाही नहीं चल रही है ऐसे में व्हिप जारी करने का कोई मतलब नहीं है। स्पीकर ऐसा नहीं कर सकते हैं। फिलहाल राजस्थान हाईकोर्ट 24 जुलाई को स्पीकर के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर बड़ा फैसला सुना सकती है।
कोर्ट में स्पीकर ने क्या तर्क दिया?
विधानसभा स्पीकर ने वकील सुनील फर्नांडिस के जरिए याचिका में कहा, अयोग्य ठहराए जाने की प्रक्रिया विधानसभा की कार्यवाही का हिस्सा है।