सार

गलवान वैली में भारत के जांबाज सैनिकों ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया। अब चीन की चौतरफा घेरेबंदी की तैयारी की जा रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ऐतिहासिक विक्ट्री परेड में शामिल होने के लिए मास्को के लिए रवाना हुए। इस दौरान यहां पर चीन के प्रतिनिधि, मंत्री भी शामिल होंगे, लेकिन राजनाथ सिंह उनसे मुलाकात नहीं करेंगे।

नई दिल्ली. गलवान वैली में भारत के जांबाज सैनिकों ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया। अब चीन की चौतरफा घेरेबंदी की तैयारी की जा रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ऐतिहासिक विक्ट्री परेड में शामिल होने के लिए मास्को के लिए रवाना हुए। इस दौरान यहां पर चीन के प्रतिनिधि, मंत्री भी शामिल होंगे, लेकिन राजनाथ सिंह उनसे मुलाकात नहीं करेंगे।

मास्को में क्या कार्यक्रम होगा? 

दूसरे विश्व युद्ध में सोवियत संघ की जीत को 75 साल पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर यह विक्ट्री परेड निकाली जाएगी। पहले ये परेड मई में निकलनी थी, लेकिन कोरोना संकट की वजह से टल गई। इस दौरान कई देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। रूसी विदेश मंत्री सभी का स्वागत करेंगे। 

चीन को घेरने की तैयारी में भारत

रूस ने एस 400 डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी में दिसंबर 2021 तक देरी की। सूत्रों की माने तो राजनाथ सिंह अपनी यात्रा के दौरान चीन और भारत के सीमा तनाव पर रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू को जानकारी देंगे। 

क्या है एस 400 मिसाइल सिस्टम?

एस-400 मिसाइल सिस्टम भारतीय बेड़े में शामिल हो जाएगा। इससे भारतीय सेना की ताकत में काफी इजाफा होगा। एस 400 मिसाइल सिस्टम पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को भी खत्म करने की क्षमता रखता है। यह डिफेंस सिस्टम 400 किमी दायरे तक सक्रिय रहता है। इस दायरे में आने वाले किसी भी खतरे को तुरंत खत्म कर सकता है। इससे दुश्मन के लड़ाकू विमान हों या ड्रोन, या फिर मिसाइल यह सिस्टम देखते ही देखते उसे ढेर कर देगा।एस 400 सिस्टम अत्‍या‍धुनिक रडारों से लैस होता है। यह सैटेलाइट से कनैक्ट रहता है और उन्हें ट्रेस कर सकता है।

- इस सिस्टम की खासियत है कि यह दुश्मन विमानों और मिसाइलों को हवा में खत्म कर सकता है। एस-400 के रडार 100 से 300 टारगेट ट्रैक कर सकते हैं। इसमें लगी मिसाइलें 30 किमी ऊंचाई और 400 किमी की दूरी में लक्ष्य को भेद सकती हैं। यह एक साथ 36 टारगेट को मार सकती है। इसमें 12 लॉन्चर होते हैं। एस-400 के रडार 100 से 300 टारगेट ट्रैक कर सकते हैं। इसमें लगी मिसाइलें 30 किमी ऊंचाई और 400 किमी की दूरी में लक्ष्य को भेद सकती हैं। यह एक साथ 36 टारगेट को मार सकती है। इसमें 12 लॉन्चर होते हैं।
 

पत्थर और कटीले तारों से सैनिकों पर किया हमला

पूर्वी लद्दाख में 15 जून को भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों के पास वापस जाने के लिए कहने आए थे। लेकिन चीनी सैनिक पहले से ही पत्थल इकट्ठा हुए तैयार थे। उन्होंने भारतीय सैनिकों पर ऊंचाई से पत्थर बरसाए। फिर कील लगे डंडे और लोहे की रॉड से हमला किया। बता दें कि सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। हालांकि भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को मारते-मारते दम तोड़ा। यही वजह है कि चीन के 40 जवान की मौत हुई।

पूर्वी लद्दाख में 15 जून की रात क्या हुआ था?

पूर्वी लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच झपड़ में भारत के कर्नल रैंक के अधिकारी सहित 20 जवान शहीद हो गए। इस घटना पर विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि चीन ने ऐसा क्यों किया? विदेश मंत्रालय ने बताया कि जहां एक तरफ बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की कोशिश हो रही है, वहां चीन ने ऐसी धोखेबाजी क्यों की? मंत्रालय ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया कि 15 जून को देर शाम और रात को चीन की सेना ने वहां यथास्थिति बदलने की कोशिश की। यथास्थिति से मतलब है कि चीन ने एलएसी बदलने की कोशिश की। भारतीय सैनिकों ने रोका और इसी बीच झड़प हुई।