सार
निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड के दोषियों को एक फरवरी को फांसी होनी है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद दूसरी बार भी फांसी की तारीख टल जाए। इस बीच केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने ऐलान किया कि जब तक निर्भया के दोषियों को फांसी नहीं मिल जाती है वह उपवास करेंगे और अन्न को हाथ नहीं लगाएंगे।
नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड के दोषियों को एक फरवरी को फांसी होनी है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद दूसरी बार भी फांसी की तारीख टल जाए। इस बीच केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने ऐलान किया कि जब तक निर्भया के दोषियों को फांसी नहीं मिल जाती है वह उपवास करेंगे और अन्न को हाथ नहीं लगाएंगे। इससे पहले उन्होंने रालेगण सिद्धि में अन्ना हजारे से भी मुलाकात की।
अन्ना हजारे ने मौन व्रत रखा है
दूसरी तरफ अन्ना हजारे भी 34 दिन से मौन व्रत पर हैं। उनकी भी मांग है कि निर्भया को जल्द से जल्द न्याय मिले। बता दें कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने पहले डेथ वॉरंट जारी किया था, जिसके मुताबिक 22 जनवरी को फांसी दी जानी थी, लेकिन दोषी की याचिका के बाद फांसी की तारीख को आगे बढ़ाकर 1 फरवरी को कर दिया गया।
क्या 1 फरवरी को फांसी होगी?
निर्भया के चारों दोषियों में से मुकेश की दया याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया है। लेकिन अभी तीन दोषी (पवन, अक्षय और विनय ) के पास दया याचिका का विकल्प बचा हुआ है। ऐसे में अगर राष्ट्रपति दया याचिका खारिज भी कर देते हैं तो दोषियों को 14 दिन का वक्त देना होगा। ऐसे में कम ही संभावना है कि दोषियों को एक फरवरी को फांसी हो।
क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।
काली-घनी और सर्द रात...जब निर्भया की चीखें सुन रो पड़ा था पूरा देश