सार

राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन के बाद से जल्द निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि दो सालों के भीतर भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। तब तक रामलला को बूलेटप्रूफ घेरे में अस्थाई मंदिर में रखा जाएगा। 

अयोध्या. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने राम मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन कर दिया है। रामजन्म भूमि ट्रस्ट की पहली बैठक बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील के. पाराशरण के आवास पर की गई। इन सब के बीच दावा किया जा रहा है कि, अयोध्या में भगवान राम का गगनचुंबी मंदिर दो साल में बनकर तैयार हो जाएगा। 

राज्य सरकार की तरफ से अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी और जिला मजिस्ट्रेट अयोध्या अनुज कुमार झा को श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के पदेन सदस्यों के रूप में नामित किया है। अगर किसी कारणवश मौजूदा डीएम हिंदू धर्म के नहीं होंगे तो अयोध्या के एडिशनल कलेक्टर (हिंदू धर्म) सदस्य होंगे। 

बुलेट प्रूफ मंदिर में रहेंगे रामलला 

मंदिर निर्माण के काम को दो सालों में पूरा करने का लक्ष्य रखा जाएगा। ट्रस्ट से जुड़े लोगो की मंशा है कि, मंदिर निर्माण की नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रखें। बीते 27 सालों से टेंट में विराजमान रामलला सहित चारों भाईयों को मंदिर निर्माण शुरू होने से पहले अस्थाई मंदिर में स्थापित किया जाएगा। ये मंदिर लकड़ी, कांच व फाइबर का होगा। जिसका निर्माण दिल्ली में हो रहा है। ये अस्थाई मंदिर गर्भगृह से 150 मीटर की दूरी पर मानस मंदिर के नजदीक होगा। यह बुलेटप्रूफ होगा। 

अदालत ने रामलला को माना था जीवित

मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बुधवार को कहा कि नए मंदिर के निर्माण की सुविधा के लिए मौजूदा मंदिर स्थल को खाली करना होगा। एक भव्य मंदिर मानस भवन के पास बनाया जाएगा, जहां भव्य मंदिर का निर्माण होने तक रामलला को रखा जाएगा। नए मंदिर का निर्माण गर्भगृह के स्थान पर होगा। पूजा के सभी अनुष्ठान निर्बाध रूप से जारी रहेंगे। मंदिर निर्माण के लिए आवश्यक लैंडफिल का आकलन करने के लिए इंजीनियरों और वास्तुकारों के एक समूह ने मंदिर स्थल का दौरा किया था। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में अदालत ने रामलला को एक जीवित संस्था के रूप में मान्यता दी थी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ट्रस्ट का गठन

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 9 नवंबर को राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को दी थी। पांच फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में मंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट, एक स्वायत्त संस्था का ऐलान किया था। उन्होंने सरकार द्वारा अधिग्रहीत 67.03 एकड़ भूमि को भी मंदिर के लिए देने की बात कही थी। केंद्र सरकार द्वारा ट्रस्ट का अधिकारिक कार्यालय वकील के. पाराशरण के घर को बनाया है। 

ट्रस्ट में हैं 15 सदस्य

केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए ट्रस्ट में 15 सदस्य है। जिनमें 9 स्थाई और छह नामित सदस्य हैं। केंद्र सरकार ने 12 सदस्यों के नामों की घोषणा की थी। इनमें वकील के. पाराशरण, डॉक्टर अनिल मिश्रा, बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, कामेश्वर चौपाल, महेंद्र द्विनेंद्र दास, शंकाराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वतीजी महाराज, माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थजी महाराज, युगपुरुष परमानंदजी महाराज, स्वामी गोविंद देव गिरीजी महाराज शामिल हैं।