सार

टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा ने देश की हाउसिंग पॉलिसी पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, अब समय आ गया है कि हम गुणवत्तापूर्ण जीवन को लेकर चिंता करें। हमें खुद से पूछना चाहिए कि अब तक हमने जो देखकर गर्व महसूस किया, क्या हम उससे शर्मिंदा हैं...? हमें किराए की झोपड़ी की बजाय मालिकाना हक के घर की संभावना पर विचार करने की जरूरत है।

मुंबई. टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा ने देश की हाउसिंग पॉलिसी पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि हम बड़ी इमारत बनाने के लिए गंदी बस्तियों को दूसरी जगह बसा देते हैं। इसके बजाय हमें गरीबों को गुणवत्तापूर्ण जीवन देने के लिए अपनी पुनर्बसाहट नीतियों पर दोबारा विचार करना चाहिए। दरअसल, रतन टाटा ग्लोबल इनोवेशन प्लेटफॉर्म कॉर्पजिनी के ‘फ्यूचर ऑफ डिजाइन एंड कंस्ट्रक्शन’ विषय पर वर्चुअल पैनल डिस्कशन में बोल रहे थे। इससे 10,000 से अधिक कॉर्पोरेट और 100 से अधिक स्टार्टअप जुड़े थे।

'समय आ गया है कि हम गुणवत्तापूर्ण जीवन को लेकर चिंता करें'

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए टाटा ने कहा कि पिछले कुछ महीनो से हम बड़ी दीनता से देख रहे हैं कि कैसे एक बीमारी पूरी दुनिया पर राज कर सकती है। यही बीमारी हमारे वजूद और हमारे काम करने के तरीके को बदल रही है। अब समय आ गया है कि हम गुणवत्तापूर्ण जीवन को लेकर चिंता करें। हमें खुद से पूछना चाहिए कि अब तक हमने जो देखकर गर्व महसूस किया, क्या हम उससे शर्मिंदा हैं...? हमें किराए की झोपड़ी की बजाय मालिकाना हक के घर की संभावना पर विचार करने की जरूरत है।

'कोरोना ने समझाया कि पास-पास रहना मुश्किलें पैदा करता हैं'

रतन टाटा ने कहा, कोरोना के बाद हमें गंदी बस्तियों की पुनर्बसाहट की अपनी नीति बदलनी चाहिए। इस महामारी ने हमें समझाया है कि पास-पास रहना मुश्किलें पैदा करता है। पहली बार यह महसूस हो रहा है कि पास-पास, कम लागत के हमने जो ढांचे खड़े किए, अब वे ही नई समस्या का कारण बन गए हैं। आधुनिक समय के स्लम-रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट वर्टिकल स्लम के अलावा कुछ नहीं है, जिनमें रहने वाले लोगों को ताजी हवा, खुली जगह और बुनियादी हाइजीन के लिए जूझना पड़ता है।

'गंदी बस्तियों में रहने वाले लोगों पर शर्मिंदा होने के बजाए अपना हिस्सा मानिए'

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रतना टाटा ने कहा- मेरा सुझाव है कि गंदी बस्तियों में रहने वाले लोगों के रहन-सहन पर शर्मिंदा होने की बजाय हमें उन्हें नए भारत का हिस्सा मानकर स्वीकार करना चाहिए। कोरोना हमारे लिए चेतावनी है, जिसने हमें नई चिंताएं बताई हैं। सरकार स्लम-रिडेवलपमेंट पॉलिसी बनाते समय गंदी बस्तियों में रहने वाले लोगों की जरूरतें समझे। वह जीवन की गुणवत्ता के स्वीकार्य मानकों का एक बार फिर परीक्षण करे, क्योंकि जहां झुग्गियां स्थापित की जाती हैं, वहां ये मानक थम जाते हैं।

मैं जोर देकर कहना चाहूंगा कि हमें गंदी बस्तियां हटाते समय अफोर्डेबल हाउसिंग पर जाना चाहिए। आर्किटेक्ट और डेवलपर को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अब समय आ गया है कि एक जैसे दिमाग वाले लोग बैठकर उन निर्णयों की आलोचना करें, जो पिछले सालों में हमने नजरअंदाज कर दिए हैं।