सार

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। सामना के संपादकीय में लिखा है, "कश्मीर में रक्तपात और शहीद जवानों के परिजनों का आक्रोश बेचैन करने वाला है। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी आतंकवादियों का मनोबल टूटेगा, यह भ्रांति टूट चुकी है। 

मुंबई. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। सामना के संपादकीय में लिखा है, "कश्मीर में रक्तपात और शहीद जवानों के परिजनों का आक्रोश बेचैन करने वाला है। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी आतंकवादियों का मनोबल टूटेगा, यह भ्रांति टूट चुकी है। उल्टे अब बड़ी संख्या में हमले हो रहे हैं। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान का दिमाग ठिकाने पर लाने की बात कहकर सरकार ने खूब शेखी बघारी। लेकिन पाकिस्तान की टेढ़ी पूंछ सीधी हुई क्या? उल्टे नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से रोज सीजफायर का उल्लंघन किया जा रहा है।"

कश्मीर में अच्छी नहीं हुई नए साल की शुरुआत
"कश्मीर में नए साल की शुरुआत अच्छी नहीं हुई। सातारा के जवान संदीप सावंत कश्मीर में शहीद हो गए हैं। नौशेरा क्षेत्र में सेना और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में संदीप सावंत सहित दो जवान शहीद हो गए।" 

एक महीने में महाराष्ट्र के 7-8 जवान शहीद 
"गत एक महीने में महाराष्ट्र के सात-आठ जवान शहीद हुए हैं। इसके लिए महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी जिम्मेदार नहीं है, ये समझ लेना चाहिए। बार-बार कहा जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर की परिस्थिति नियंत्रण में है। लेकिन ये कितना सच है? अनुच्छेद-370 हटाना अच्छा ही हुआ। इसके पहले पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक हुई। लेकिन इतना सब करने के बावजूद कश्मीर की परिस्थिति में बदलाव आया क्या? आतंकवादी हमले शुरू ही हैं। लेकिन उसकी खबरें देने पर नियंत्रण है।" 

नहीं थमा बंदूकों का शोर 
"बंदूकों का शोर थमा नहीं है। सिर्फ इस शोर को आनंद का चीत्कार बताया जा रहा है। कश्मीर में संचार सुविधाएं शुरू नहीं हुई हैं। वहां 31 दिसंबर की मध्यरात्रि से एसएमएस सेवा शुरू की गई। परंतु इंटरनेट सेवा अभी भी बंद है। 5 अगस्त को अनुच्छेद-370 रद्द करने के बाद से कश्मीर में क्या चल रहा है, इसे समझना होगा। सिर्फ मुठभेड़ में हमारे जवान शहीद हो गए, इसकी सूचनाएं मिलती हैं।" 

तिरंगे में लिपटे शव गांव भेजे जाने की प्रथा है
"जवानों के तिरंगे में लिपटे हुए पार्थिव शरीर को उनके गांव भेजे जाने की प्रथा है, नहीं तो उनके शहीद होने की खबरों को भी दबा दिया जाता। हाल ही में कोल्हापुर के जवान ज्योतिबा चौघुले (उम्र-37) शहीद हुए। महाराष्ट्र के दूसरे जिलों से भी कई बार सीमा पर शहीद हुए जवानों का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा और सेना के नियमानुसार उनका अंतिम संस्कार होने की खबरें सामने आती रहती हैं, कश्मीर और सीमा का यह रक्तपात तथा महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के शहीद जवानों के परिजनों में जो आक्रोश है, उस पर कितने राजनीतिक दल अपना मत प्रकट कर रहे हैं?"

कश्मीर में सब कुछ ठीक नहीं है
"कश्मीर की सीमा पर जिस प्रकार जवानों का खून बह रहा है, उसका सीधा मतलब ये है कि कश्मीर में सब कुछ ठीक नहीं है और पाक समर्थित आतंकवाद तथा घुसपैठ रुकी नहीं है। फिर भी सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिक टाम-टूम करने का प्रयास किया गया। बालाकोट के हमले में आतंकवादी ठिकानों के ध्वस्त किए जाने पर एक देशवासी के रूप में हमें विश्वास रखना चाहिए। लेकिन उसी जगह पर फिर से नए ठिकाने बन जाने से हिंदुस्थान विरोधी कार्रवाइयों को बल मिलने लगा है, इसे भी नकारा नहीं जा सकता।"

लोगों के मन में आक्रोश है
"प्रधानमंत्री मोदी या गृहमंत्री शाह जो कहते हैं, वही सच है और कश्मीर में हिंदुस्थानी सेना नहीं, बल्कि पाकिस्तानियों के खून बह रहे हैं, ऐसी खबरें फैलाकर सच से इंकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि संदीप सावंत जैसे जवानों का तिरंगे में लिपटा हुआ शव हर गांव में पहुंच रहा है तथा लोगों के मन में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।" 

कोई सप्ताह नहीं, जब जीफायर का उल्लंगन न हुआ हो
"कभी पुंछ, कभी राजौरी, तो कभी कहीं और गश्त लगानेवाले हिंदुस्थानी जवानों पर पाकिस्तानी सेना की ओर से हमले किए जाते हैं। जम्मू-कश्मीर के कई क्षेत्रों और सीमा से सटे गांवों में पाकिस्तान की ओर से आधी रात को अचानक गोलाबारी शुरू हो जाती है। इसमें हिंदुस्थानी जवान शहीद हो जाते हैं। नववर्ष की पूर्व संध्या पर हिंदुस्थानी सुबेदार वीरेश कुलहट्टी शहीद हो गए। कल-परसों भी दो जवान शहीद हुए। ऐसा कोई सप्ताह नहीं जाता जिस सप्ताह पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन न किया हो और हिंदुस्थानी जवानों का पार्थिव शरीर सीमा से उसके गांव न पहुंचा हो। इस पर कोई कुछ नहीं बोलता। नए सेनाप्रमुख मनोज नरवणे के अनुसार फिलहाल चीन पर नजर रखना जरूरी है। उनकी दिशा सही है लेकिन पाकिस्तान की सीमा आज भी हमारे खून से रक्तरंजित हो रही है। कश्मीर में शांति नहीं है और चीन की सीमा पर भी बेचैनी है। सीमा पर बेचैनी देश की सेहत के लिए खतरनाक है।"