सार
भारत कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है। ऐसे में सैमसंग ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत की मदद के लिए 50 लाख डॉलर (37 करोड़) रु की मदद का ऐलान किया है। सैमसंग केंद्र और राज्य सरकारों को चिकित्सा से जुड़े जरूरी उपकरण भी देगी। इनमें खास एलडीएस सिरिंज भी शामिल हैं। जो वैक्सीन की बर्बादी को रोकने में मदद करेंगे।
नई दिल्ली. भारत कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है। ऐसे में सैमसंग ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत की मदद के लिए 50 लाख डॉलर (37 करोड़) रु की मदद का ऐलान किया है। सैमसंग केंद्र और राज्य सरकारों को चिकित्सा से जुड़े जरूरी उपकरण भी देगी। इनमें खास एलडीएस सिरिंज भी शामिल हैं। जो वैक्सीन की बर्बादी को रोकने में मदद करेंगे।
सैमसंग ने स्थानीय प्रशासन की आवश्यकताओं के आकलन के बाद इस मदद का ऐलान किया। खास बात ये है कि सैमसंग केंद्र सरकार के साथ ही साथ उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु राज्य को 30 लाख डॉलर का दान देगी। इसके अलावा बढ़ते हुए केसों के चलते हेल्थकेयर सिस्टम पर पड़ रहे दबाव को कम करने में मदद करने के लिए 20 लाख डॉलर के मेडिकल उपकरण भी देगी।
क्या क्या मदद करेगी सैमसंग
सैमसंग ने ऐलान किया है कि उसकी ओर से 100 ऑक्सीजन कंसेन्टेटर, 3000 ऑक्सीजन सिलेंडर्स और 10 लाख एलडीएस सिरिंज दिए जाएंगे। ये मदद तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश को दी जाएगी।
क्या होते हैं LDS सिरिंज?
एलडीएस यानी या लो डेड स्पेस सिरिंज होते हैं। एलडीएस सिरिंज में इंजेक्शन के बाद बचने वाली दावा काफी कम रह जाती है। इसके इस्तेमाल से वैक्सीन का अधिक से अधिक इस्तेमाल हो पाएगा। अभी जो मौजूदा इंजेक्शन इस्तेमाल किए जा रहे हैं, उनमें दवा की बर्बादी काफी होती है। खास बात ये है कि अगर जितनी मात्रा से मौजूदा सिरिंज से 10 लाख खुराक दी जा सकती हैं, उसी मात्रा का इस्तेमाल नई सिरिंज से 12 लाख डोज दी जा सकती हैं। सैमसंग ने इन सिरिंज के निर्माताओं को उत्पादन बढ़ाने के लिए भी मदद की है।
50 हजार कर्मचारियों को वैक्सीन लगवाएगी सैमसंग
इतना ही नहीं सैमसंग ने ऐलान किया है कि वह अपने खर्चे पर भारत में अपने 50,000 से अधिक पात्र कर्मचारियों को वैक्सीन लगवाने का खर्च फभी उठाएगी। इन 50 हजार लोगों में इलेक्ट्रॉनिस रिटेल स्टोर्स पर काम करने वाले कर्मचारी भी शामिल हैं।
पिछले साल सैमसंग ने 20 करोड़ की मदद की थी
इससे पहले कोरोना की पहली लहर के खिलाफ सैमसंग ने 20 करोड़ रु की मदद की थी। इसके तहत केंद्र सरकार और नोएडा में स्थानीय प्रशासन को मदद दी गई थी।