सार

कोरोना मरीजों के मुफ्त इलाज के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि प्राइवेट अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के तहत तय की गई दर पर मरीजों का इलाज कर सकते हैं? वहीं, इससे पहले कोर्ट ने पूछा था कि प्राइवेट हॉस्पिटल मुफ्त इलाज क्यों नहीं करते। जिस पर केंद्र सरकार ने कहा, हमारे पास वैधानिक अधिकार नहीं है। 

नई दिल्ली. देश में बढ़ रहे कोरोना संकट के बीच वायरस के इलाज पर हो रहे खर्च का मसला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जिस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज नहीं किया जा सकता? दरअसल, पिछले दिनों कोर्ट ने पूछा था कि प्राइवेट हॉस्पिटल और धर्मार्थ अस्पताल कोरोना मरीजों का फ्री इलाज क्यों नहीं करते। जिस पर केंद्र ने जवाब देते हुए कहा, हमारे पास वैधानिक शक्ति नहीं है। जिसके बाद कोर्ट ने आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज कराने को लेकर सवाल पूछा। 

कोर्ट में हॉस्पिटल एसोसिएशन की ओर से पक्षकार हरीश साल्वे ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना केवल चिन्हित लाभार्थियों के लिए है। हम पहले से ही रियायती दरों पर इलाज कर रहे हैं। याचिकाकर्ता की ओर से सचिन जैन ने कहा कि भारत सरकार को नागरिकों के साथ खड़ा होना चाहिए न कि कॉरपोरेट अस्पतालों के साथ। 

CJI ने पूछा- क्या किसी हॉस्पिटल को अभी मुनाफा नहीं कमाना चाहिए?

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस संकट में हमें निजी क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में शामिल करना होगा। कोरोना इलाज के लिए आयुष्मान भारत में अच्छी तरह से परिभाषित पैकेज उपलब्ध हैं, औसत दैनिक बिल 4000 रु. है। जिस पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि क्या आप चाहते हैं कि किसी हॉस्पिटल को अभी मुनाफा नहीं कमाना चाहिए। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि मैं अभी आपको दिखा सकता हूं कि आयुष्मान भारत योजना को अस्पतालों की लाभप्रदता को ध्यान में रखते हुए कैसे तय किया गया है। 

'हमने हलफनामे बताया है आयुष्मान भारत योजना कैसे करती है काम'

सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना व्यक्तियों के लिए लागू है? इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह सरकार द्वारा लाभार्थियों की चिन्हित श्रेणियों के साथ तैयार की गई योजना है। वे सभी लोग जो इलाज का खर्च उठा नहीं सकते, वे इस योजना से आच्छादित हैं। हमने अपने हलफनामे में बताया है कि आयुष्मान भारत योजना कैसे काम करती है। 

कोई भी हॉस्पिटल मुनाफा नहीं कमा रहा हैः मुकुल रोहतगी 

हरीश साल्वे ने कहा कि स्थिति खराब है और अन्य बीमारियों के लिए अस्पतालों में कोई जगह नहीं है। राजस्व में 60 फीसदी की कमी आई है। वहीं, मुकुल रोहतगी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने गंगाराम अस्पताल को बदल दिया है, जो एक सामान्य कोरोना अस्पताल में विशिष्ट अस्पताल है। कोई भी अस्पताल मुनाफा नहीं कमा रहा है। 

सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि क्या हॉस्पिटल आयुष्मान की दर पर इलाज करने के लिए तैयार हैं। हरीश साल्वे ने कहा कि हम जनहित याचिका और केंद्र के हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करना चाहते हैं। अब मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।