सार
डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने लिखा कि राजस्थान के राजनीतिक दंगल ने अब एक बड़ा मजेदार मोड़ ले लिया है। कांग्रेस मांग कर रही है कि भाजपा के उस केंद्रीय मंत्री को गिरफ्तार किया जाए, जो रिश्वत के जोर पर कांग्रेसी विधायको को पथभ्रष्ट करने में लगा हुआ था। उस मंत्री की बातचीत के टेप सार्वजनिक कर दिए गए हैं।
डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने लिखा कि राजस्थान के राजनीतिक दंगल ने अब एक बड़ा मजेदार मोड़ ले लिया है। कांग्रेस मांग कर रही है कि भाजपा के उस केंद्रीय मंत्री को गिरफ्तार किया जाए, जो रिश्वत के जोर पर कांग्रेसी विधायको को पथभ्रष्ट करने में लगा हुआ था। उस मंत्री की बातचीत के टेप सार्वजनिक कर दिए गए हैं। एक दलाल या बिचैलिए को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। दूसरी तरफ यह हुआ कि विधानसभा अध्यक्ष ने सचिन पायलट और उसके साथी विधायकों को अपदस्थ करने का नोटिस जारी कर दिया है, जिस पर उच्च न्यायालय में बहस चल रही है। पता नहीं, न्यायालय का फैसला क्या होगा लेकिन कर्नाटक में दिए गए अदालत के फैसले पर हम गौर करें तो यह मान सकते हैं कि राजस्थान का उच्च न्यायालय सचिन-गुट के 19 विधायकों को विधानसभा से निकाल बाहर करेगा। यह ठीक है कि सचिन का दावा है कि वह और उसके विधायक अभी भी कांग्रेस में हैं और उन्होंने पार्टी व्हिप का उल्लंघन नहीं किया है, क्योंकि ऐसा तभी होता है जबकि विधानसभा चल रही हो। मुख्यमंत्री के निवास पर हुई विधायक-मंडल की बैठक में भाग नहीं लेने पर आप व्हिप कैसे लागू कर सकते हैं ? इसी आधार पर सचिन-गुट को दिए गए विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस को अदालत में चुनौती दी गई है। कांग्रेस के वकीलों का तर्क है कि दल-बदल विरोधी कानून के मुताबिक अध्यक्ष का फैसला इस मामले में सबसे ऊपर और अंतिम होता है। अभी अध्यक्ष ने बागी विधायकों पर कोई फैसला नहीं दिया है। ऐसी स्थिति में अदालत को कोई राय देने का क्या हक है ? इसके अलावा, जैसा कि कर्नाटक के मामले में तय हुआ था, उसके विधायकों ने औपचारिक इस्तीफा तो नहीं दिया था लेकिन उनके तेवरों से साफ हो गया था कि वे सत्तारुढ़ दल के साथ नहीं हैं यानि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। यदि यह तर्क जयपुर में भी चल पड़ा तो सचिन पायलट-गुट न इधर का रहेगा न उधर का ! यदि अदालत का फैसला पायलट के पक्ष में आ जाता है तो राजस्थान की राजनीति कुछ भी पल्टा खा सकती है। जो भी हो, राजस्थान की राजनीति ने आजकल बेहद शर्मनाक और दुखद रुप धारण कर लिया है। मुख्यमंत्री गहलोत के रिश्तेदारों पर आजकल पड़ रहे छापे केंद्र सरकार के मुख पर कालिख पोत रहे हैं और इस आरोप को मजबूत कर रहे हैं कि भाजपा और सचिन, मिलकर गहलोत-सरकार गिराना चाहते है। इतना ही नहीं, करोड़ों रु. लेकर विधायकगण अपनी निष्ठा दांव पर लगा रहे हैं। वे पैसे पर अपना ईमान बेच रहे हैं। क्या ये लोग नेता कहलाने के लायक हैं ? भाजपा-जैसी राष्ट्रवादी और आदर्शोन्मुखी पार्टी पर रिश्वत खिलाने का आरोप लगानेवालों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए और यदि ये आरोप सच हैं तो भाजपा का कोई भी नेता हो, पार्टी को चाहिए कि उसे तत्काल निकाल बाहर करे और वह राजस्थान की जनता से माफी मांगे