सार
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान सड़कों पर हैं। इन कृषि सुधार कानूनों के तहत एपीएमसी एक्ट में संसोधन किया गया है। इसी संसोधन का विरोध आज विपक्ष और कई किसान संगठन कर रहे हैं। लेकिन खास बात ये है कि आज कांग्रेस जिन संसोधन का विरोध कर रही है, उसकी पहल यूपीए सरकार में ही हो गई थी।
नई दिल्ली. केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान सड़कों पर हैं। इन कृषि सुधार कानूनों के तहत एपीएमसी एक्ट में संसोधन किया गया है। इसी संसोधन का विरोध आज विपक्ष और कई किसान संगठन कर रहे हैं। लेकिन खास बात ये है कि आज कांग्रेस जिन संसोधन का विरोध कर रही है, उसकी पहल यूपीए सरकार में ही हो गई थी। यहां तक की यूपीए सरकार में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर एपीएमसी एक्ट को लागू करने और स्टेट एपीएमसी एक्ट्स में संशोधन के लिए कहा था।
उस वक्त शरद पवार ने कहा था कि एपीएमसी (एग्री प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी) विधेयक में किसानों के हित में संशोधन किया जा सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया था। जिससे किसानों को प्रतिस्पर्धा के लिए वैकल्पिक माध्यम मिल सके। उन्होंने कहा था कि इससे किसानों को बेहतर दाम मिल सकेगा।
शरद पवार ने कृषि मंत्री रहते 2010 में शीला दीक्षित को यह पत्र लिखा था।
शीला दीक्षित को लिखा पत्र सामने आया
शरद पवार का 2010 का एक पत्र सामने आया है। कृषि मंत्री होते हुए उन्होंने ये पत्र दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को लिखा था। इस पत्र में उन्होंने मॉडल एपीएमसी एक्ट को जरूरी बताया था। उन्होंने लिखा था, भारत के ग्रामीण इलाकों में कृषि क्षेत्रों के संपूर्ण विकास, रोजगार और आर्थिक प्रगति के लिए बेहतर मार्केट की जरूरत है। उन्होंने कहा था, मॉडल एपीएमसी एक्ट से किसानों को अपनी उपज लाभकारी मूल्य पर बेचने के लिए बेहतर विकल्प और बाजार मिल सकते हैं। शरद पवार ने फिर नवंबर 2011 में राज्यों को पत्र लिखकर यही बात दोहराई। उन्होंने निजी तौर पर सभी मुख्यमंत्रियों से अपील की कि किसानों की बेहतरी के लिए बिना देरी करे राज्य सरकारें कदम उठाए।
नवंबर 2011 में मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पवार ने ये पत्र लिखा था।
राज्यसभा में औपचारिक जवाब में भी की थी वकालत
तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार ने मई 2012 में राज्यसभा में एक औपचारिक जवाब दिया था। इसमें उन्होंने ऐग्रिकल्चर मार्केटिंग रिफॉर्म का समर्थन किया था। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा था, ''कुछ सिफारिशें पहले ही स्वीकार की जा चुकी हैं, जैसे कृषि उपज की खरीद के उदारीकरण का प्रस्ताव…हमने सभी राज्यों के सहकारिता मंत्रियों से एपीएमसी एक्ट में संशोधन करने का अनुरोध किया है।''