सार
महाराष्ट्र का राजनैतिक संकट (Maharashtra Political Crisis) अब शिवसेना का राजनैतिक संकट बन गया है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की ओर से विधायकों की अयोग्यता को लेकर 5 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं।
नई दिल्ली. शिवसेना के दो गुटों के बीच की कानूनी लड़ाई में तीखी नोकझोंक के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है। शिवसेना के दोनों गुटों की ओर से कुल 6 याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें से 5 याचिकाएं उद्धव गुट की ओर से और 1 याचिका एकनाथ शिंदे गुट ने दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायकों के खिलाफ अयोग्यता नोटिस पर यथास्थिति जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला अब बड़ी बेंच को सौंपने का निर्णय लिया है। 10 प्वाइंट में जानें महाराष्ट्र में शिवसेना का संकट क्या है...
1. सुप्रीम कोर्ट ने दायर की गई 6 याचिकाओं को लेकर सभी पार्टियों को नोटिस जारी किया है। सभी राजनैति दलों से उनका रिस्पांस मांगा गया है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई अब 1 अगस्त को होगी।
2. सुप्रीम कोर्ट में दायर 6 याचिकाओं में से 1 याचिका एकनाथ शिंदे गुट द्वारा दायर की गई है। जिसमें डिप्टी स्पीकर असेंबली नरहरि जिरवाल द्वारा विधायकों को अयोग्य ठहराने की प्रक्रिया शुरू की थी, उस पर रोक लगाने की मांग की गई हैं। यह तब हुआ था, जब सभी बागी विधायक गुवाहाटी में थे।
3. ठाकरे गुट की ओर पर 5 याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें नए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्वारा उठाए गए कदमों को चुनौती दी गई है। याचिका में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के आर्डर को भी चुनौती दी गई है जिसमें उन्होंने उद्धव ठाकरे से बहुमत साबित करने के लिए कहा था।
4. ठाकरे गुट के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि शिंदे गुट के विधायक व्हिप जारी होने के बाद भी नहीं पहुंचे जिसके कारण उन्हें अयोग्य ठहराया जाना चाहिए। सिब्बल का यह भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है, उस दौरान उन्हें शपथ लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
5. कपिल सिब्बल का तर्क है कि यदि इसी तरह से होता रहा तो 7-8 एमएलए हमेशा ऐसा करते रहेंगे। इससे आम लोगों के अधिकार भी प्रभावित होते हैं, जिन्होंने उन्हें चुनकर विधायक बनाया है।
6. एकनाथ शिंदे गुट की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पेश हुए। उन्होंने कहा कि एक आदमी जिसे 20 विधायकों का समर्थन नहीं मिल सका, क्या वह अब कोर्ट के माध्यम से सत्ता हासिल करेगा।
7. हरीश साल्वे ने कहा कि शिंदे गुट के विधायकों को अधिकार है कि वे लोकतांत्रिक तरीके से पार्टी में अपनी बात कह सकें। पार्टी के भीतर रहकर अपनी आवाजा उठाने के कारण उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।
8. हरीश साल्वे को जवाब देते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि दोनों गुटों को कानूनी अधिकार है। हमने पहले भी ऐसे केस देखें हैं। ऐसे मामलों में पहले हाईकोर्ट जाना चाहिए फिर यहां अप्रोच करना चाहिए।
9. हरीश साल्वे ने जब एक सप्ताह का समय जवाब देने के लिए मांगा तो कपिल सिब्बल ने कहा कि आज ही जवाब देना चाहिए। इस पर साल्वे ने कहा कि मेरे काबिल दोस्त को न जाने क्यों इतनी जल्दी है।
10. शिवसेना के दोनों गुटों के बीच अदावत तब बढ़ गई जब बागी विधायकों ने बीजेपी के सपोर्ट से नई सरकार बना ली। एकनाथ शिंद मुख्यमंत्री बने और कई बागी विधायक भी मंत्री बने हैं।
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