सार

मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व बनी सरकार के 29 दिन बीत गए हैं। जिसके बाद आज प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल का गठन किया गया। दोपहर 12 बजे भाजपा के 3 तो सिंधिया खेमे से पार्टी में शामिल हुए 2 नेता मंत्री पद की शपथ ली। 

भोपाल. मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस का कहर जारी है। जिसके खिलाफ सीएम शिवराज सिंह चौहान अकेले ही जंग लड़ रहे हैं। मंत्रिमंडल न होने के कारण सरकार को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा है। अब सरकार बनने के 29 दिन बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रिमंडल का गठन करते हुए 5 नेताओं को मंत्री बनाया है। राजभवन द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी के 3 को सिंधिया खेमे के 2 नेता मंत्री पद की शपथ दोपहर 12 बजे शपथ ग्रहण किया है।  

इन्होंने ली मंत्री पद की शपथ

सिंधिया खेमे में से तुलसी सिलावट, गोविंद राजपूत को मंत्री बनाया जाएगा। इसके अलावा मंत्रिमंडल में भाजपा नेता नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल, मीना सिंह को मंत्री बनाई गई है।  

BJP हाईकमान की हरी झंडी

भाजपा हाइकमान की हरी झंडी के बाद पांच मंत्रियों को शपथ दिलाने का निर्णय हुआ है, इसमें जातीय समीकरण को साधने का प्रयास भी किया गया है। महिला और आदिवासी वर्ग का प्रतिनिधित्व मीना सिंह, ओबीसी वर्ग से कमल पटेल, अनुसूचित जाति वर्ग से सिलावट और सामान्य वर्ग से नरोत्तम मिश्रा और गोविंद सिंह राजपूत को प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है।

23 मार्च को शिवराज ने शपथ ली थी

शिवराज ने 23 मार्च को राजभवन में सादे समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। कोरोना संकट को देखते हुए उन्होंने अकेले शपथ ली थी। बिना मंत्रिमंडल के ही शिवराज लगातार कोरोना वायरस संकट के दौरान काम करते रहे हैं और इसे लेकर वे विपक्ष के निशाने पर भी आए। 

कमलनाथ ने लगाए थे आरोप 

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछले दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था कि मध्यप्रदेश देश का इकलौता राज्य है, जहां कोरोना संकट में स्वास्थ्य मंत्री और गृहमंत्री नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने सरकार के कदमों पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कोरोना टेस्ट और पीपीई को लेकर भी सरकार से सवाल पूछा था। 

34 मंत्री बनाए जा सकते हैं 

230 सदस्यीय विधानसभा में सदस्यों की संख्या के लिहाज से मंत्रिमंडल में अधिकतम 15 प्रतिशत यानी 35 सदस्य हो सकते हैं, जिनमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। अब 34 नेताओं को मंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन, सामान्यत: रणनीतिक तौर पर मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल में कुछ पद रिक्त रखते हैं। कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि केवल 9-10 मंत्रियों को ही शपथ दिलाई जा सकती है।

20 मार्च को गिर गई थी कमलनाथ सरकार 

दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में आई थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों के कांग्रेस से बगावत के कारण कांग्रेस पार्टी की सरकार गिर गई। बहुमत न होने के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को त्याग पत्र देना पड़ा था।