सार

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 2025 में Axiom मिशन 4 के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनेंगे। वह स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से उड़ान भरेंगे और मिशन के पायलट भी होंगे।

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 2025 में नासा के Axiom मिशन 4 के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनने जा रहे हैं। वे स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से फ्लोरिडा स्थित लॉन्च पैड से उड़ान भरेंगे और इस मिशन के पायलट की भूमिका भी निभाएंगे। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। नासा ने घोषणा की है कि यह मिशन 2025 के वसंत में, यानी मार्च से पहले लॉन्च नहीं किया जा सकेगा।

लखनऊ के रहने वाले हैं कैप्टन शुभांशु शुक्ला

शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी लखनऊ में ही संपन्न हुई। बचपन से ही वे विज्ञान और तकनीक में रुचि रखते थे और देश की सेवा करने का सपना देखते थे। इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने भारतीय वायुसेना में प्रवेश लिया और जून 2006 में फाइटर पायलट के रूप में कमीशन प्राप्त किया। अपने करियर में उन्होंने उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं और मार्च 2024 में उन्हें ग्रुप कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया। उनके पास 2000 से अधिक उड़ान घंटों का अनुभव है, जिसमें Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier और An-32 जैसे विभिन्न युद्धक और परिवहन विमानों को उड़ाने का कौशल शामिल है।

2019 में अंतरिक्ष यात्रा के लिए शुरू किया था सफर

अंतरिक्ष यात्रा के लिए उनका सफर 2019 में शुरू हुआ, जब उन्हें रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण के लिए चुना गया। रूस में एक साल के इस कठोर प्रशिक्षण ने उन्हें अंतरिक्ष में कार्य करने और वहां की प्रतिकूल परिस्थितियों में खुद को ढालने के लिए तैयार किया। यही नहीं, वे इसरो के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए भी चयनित पायलटों में से एक हैं, जो भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होगा। इसरो की ओर से उन्हें 2019 में जीवन का सबसे बड़ा अवसर तब मिला जब उन्हें मॉस्को के स्टार सिटी स्थित यूरी गागरिन अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में विशेष ट्रेनिंग के लिए भेजा गया।

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14 दिनों तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहेंगे

Axiom मिशन 4 के अंतर्गत शुभांशु शुक्ला को 14 दिनों तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहना होगा, जहां वे वैज्ञानिक परीक्षणों और अनुसंधान कार्यों में भाग लेंगे। इस मिशन में उनके साथ पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल होंगे। यह पहली बार होगा जब भारत, पोलैंड और हंगरी एक साथ ISS पर किसी मिशन का हिस्सा बनेंगे। इस अभियान का उद्देश्य न केवल विज्ञान और अनुसंधान को आगे बढ़ाना है, बल्कि व्यावसायिक और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भी नई संभावनाओं को तलाशना है।

शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में केवल एक वैज्ञानिक या तकनीकी मिशन तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि वे भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व भी करेंगे। वे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर योग करने की योजना बना रहे हैं, जिससे भारतीय योग और ध्यान पद्धति का वैश्विक मंच पर एक नया आयाम स्थापित होगा। यह पहल अंतरिक्ष यात्रियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

उनकी यह ऐतिहासिक उड़ान भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम में एक नया अध्याय जोड़ेगी। इससे पहले, भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत संघ के सोयूज टी-11 मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा की थी। वह मिशन सोवियत संघ के इंटरकोस्मोस कार्यक्रम का हिस्सा था। अब लगभग 40 साल बाद, शुभांशु शुक्ला भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया इतिहास रचने जा रहे हैं। उनकी यह उपलब्धि भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी और देश के अंतरिक्ष अभियानों को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाएगी।