सार

कीर्तिका गोविंदसामी ने इंस्टा पर अपने बचपन के समय और तत्कालीन हालातों से जुड़े अनुभवों को साझा किया। उन्होंने लिखा कि मैं जब 15 साल की थी तो मैंने अपने पिता को रोते हुए सुना क्योंकि गांव के लोग मेरे बारे में बुरा-भला कह रहे थे।

नेशनल कंटेंट क्रिएटर अवार्ड। नई दिल्ली के भारत मंडपम में 8 मार्च को नेशनल कंटेंट क्रिएटर अवार्ड प्रोग्राम का आयोजन किया गया था। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर के कंटेंट क्रिएटर को आवार्ड दिया था। इसी कड़ी में बेस्ट स्टोरी टेलर का आवार्ड तमिलनाडु की कीर्तिका गोविंदसामी को दिया गया। 

सोशल मीडिया पर कीर्तिका गोविंदसामी को लोग कीर्ति इतिहास के नाम से भी जानते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों आवार्ड मिलने पर कीर्तिका गोविंदसामी काफी खुश हुई। उन्होंने हाल ही में अपने इंस्टा अकाउंट पर एक इमोशनल पोस्ट लिखा और अपनी जिंदगी के बारे में लोगों को जानकारी शेयर की।

कीर्तिका गोविंदसामी ने इंस्टा पर अपने बचपन के समय और तत्कालीन हालातों से जुड़े अनुभवों को साझा किया। उन्होंने लिखा कि मैं जब 15 साल की थी तो मैंने अपने पिता को रोते हुए सुना क्योंकि गांव के लोग मेरे बारे में बुरा-भला कह रहे थे। मेरे पिता जीवन भर वे मुझसे शर्मिंदा महसूस कर रहे थे। उन्हें लग रहा था कि मेरा कोई बॉयफ्रेंड था। 

हालांकि, मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं था। मैं पढ़ने में बहुत अच्छी थी। फिर क्या ग़लत हुआ? मैं बस चीजें अपने आप करना चाहती थी। मैं अपने परिवार के पुरुषों पर निर्भर नहीं रहना चाहती थी।

गांव में लड़कियों की जिंदगी आसान नहीं- कीर्तिका गोविंदसामी

कीर्तिका गोविंदसामी ने बताया कि हम लड़कियों को पास की दुकान में जाने की इजाज़त नहीं थी। अगर मुझे किसी चीज़ की ज़रूरत होगी तो मुझे अपने भाइयों से भीख मांगनी पड़ती थी। एक बार मैं जब पास के एक दुकान पर गई, जो 100 मीटर दूर पर मौजूद थी। उसके लिए मुझे थप्पड़ मारा गया। मुझे बुनियादी चीजों के लिए भी जीवन भर संघर्ष करना पड़ा।

 

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मैं अपने जीवन में केवल एक पुरातत्ववेत्ता बनना चाहती थी।इसीलिए मैंने ग्रेजुएशन में इतिहास विषय को चुना, ताकि मैं इतिहास में ग्रेजुऐशन कर सकूं। लेकिन एक बार जब मैं ग्रेजुएट हो गई, तो उन्होंने कहा कि शादी कर लो। मुझे याद है कि मैं उस दिन बहुत बेबस होकर रोयी थी।

पीएम मोदी से मिला पुरस्कार तो खुश हुए कीर्तिका के मां-बाप

जिंदगी में आई अनेक काठिनाईयों के बारे में बताते हुए कीर्तिका गोविंदसामी ने लिखा कि मैंने अपनी लाइफ वो हर काम किए, जो मुझे आते थे। मैंने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। रिसेप्शनिस्ट का भी काम किया और यहां तक की इलेक्ट्रीशियन का भी काम किया। मुझे सेकंड हैंड लैपटॉप खरीदने में लगभग 1।5 साल लग गए। इस दौरान मैंने अपने पिता से 6 सालों तक बात नहीं की। 

वे मुझसे बहुत नाराज थे। हालांकि, कीर्तिका ने बताया कि मेरे माता-पिता ने मेरे लिए बहुत कुछ किया। हालांकि, गांव में माता-पिता के अलावा रिश्तेदार भी आपके लिए फैसले लेते हैं। इसके बावजूद मेरे माता-पिता मेरे साथ खड़े रहें। लेकिन इस साल जब मैंने अपने माता-पिता को दिल्ली लेकर आई और उनके सामने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों पुरस्कार मिला तो मेरे माता पिता काफी खुश हुए। उनके खुशी सातवें आसमान पर थी। 

मैं आशा करती हूं की मेरे इस काम से आगे आने वाली पीढ़ियों की लड़कियों के लिए रास्ते आसान होंगे। आशा है कि उन्हें एहसास होगा कि आपकी लड़की को शिक्षित करने का मतलब यह नहीं है कि वह किसी के साथ भाग जाएगी।

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