सार

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की रहने वाली रुपाली 25 साल की है। कोरोना को हराने के दौरान उन्होंने महसूस किया कि शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक रूप से मजबूत होने पर वायरस को हराया जा सकता है।

लखनऊ. कोरोना की दूसरी लहर में रोजाना के केस कम होने लगे हैं। धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं। लोग वापस अपने काम पर लौट रहे हैं। लेकिन इस बीच लोगों के मन में कोरोना की तीसरी लहर का डर बना हुआ है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि तीसरी लहर दिसंबर में आएगी। इस बीच सरकार आगे की रणनीति बनाने में जुटी है। लेकिन संक्रमण से निपटने के लिए कोरोना को हराने वाली रुपाली की कहानी को जरूर जानना चाहिए।   

Asianet News के विकास कुमार यादव ने कोरोना को हराने वाली 25 साल की रुपाली से बात की। ये उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की रहने वाली हैं। रुपाली ने कहा कि अब हॉस्पिटल में मरीजों की भीड़ कम होने लगी है। अखबारों की हेडलाइन में भी बता रहे हैं कि संक्रमण के आंकड़े कम हो रहे हैं। ये सुकून देने वाली बात है। लेकिन कोरोना में कुछ विशेष बातों का ध्यान देना जरूरी है।

'रोज पढ़ती थी, मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं'
बात इस साल के मई महीने की है। रोज अखबार में पढ़ती थी कि मौत के आंकड़े दिन ब दिन बढ़ रहे हैं। बीमारी होने के बाद लोगों की जान बचाना मुश्किल हो रहा है। इन खबरों को पढ़कर मन में हमेशा एक डर बना रहता था। लेकिन तब तो हालत और भी ज्यादा खराब हो गई जब खुद को कोरोना हो गया।

'शुरुआती लक्षण दिखा तो डॉक्टर के पास चली गई'
15 मई को मुझे पहले दो दिन 100 डिग्री के ऊपर बुखार आया। मैंने संक्रमण के बारे में खबरों में इतना ज्यादा पढ़ा था कि तुरन्त डॉक्टर के पास गई। डॉक्टर के कुछ टेस्ट लिखे। उस वक्त कोरोना की रिपोर्ट आने में 4-5 दिन लग रहे थे। ऐसे में डॉक्टर ने एक्सरे और सीटी स्कैन करवाया। वहां पता चला कि मेरे फेफड़े में संक्रमण बनना शुरू हो चुका है।

'डॉक्टर ने कहा- घर पर आइसोलेट हो जाओ'
रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर ने कहा कि तुम घर के अंदर आइसोलेट हो जाओ। मैं समझ गई कि मैं संक्रमित हो चुकी हूं। डॉक्टर की बात सुनते ही मेरे दिमाग में कई सवाल उठने लगे। बहुत ज्यादा घबरा गई। मैंने डॉक्टर से पूछा कि खतरनाक वाला कोरोना है या माइल्ड। डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए कहा कि टीवी और अखबार कम देखा करो। डरो मत। जल्दी ठीक हो जाओगी।

'मैंने कुछ अच्छी किताबें पढ़ना शुरू किया'
संक्रमण का असली डर मुझे तब पता चला जब मैं खुद संक्रमित हुई। मेरी तबीयत बहुत ज्यादा खराब नहीं लग रही थी फिर भी मन में डर था कि मैं बचूंगी नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि टीवी और अखबारों में संक्रमण की खबरें पढ़-पढ़कर मन में बहुत डर बैठ गया था। फिर डॉक्टर के कहने पर मैंने कुछ अच्छी किताबें पढ़ना शुरू किया। टीवी और अखबार देखना कम कर दिया।

'व्हाट्सएप पर साथियों को किया खास मैसेज'
व्हाट्सएप पर अपने साथियों को मैसेज किया कि मुझे कोरोना से जुड़े कोई भी मैसेज न भेजे। लोग मेरे इस मैसेज का मतलब समझ गए। मैं भी भ्रामक खबरें पढ़ने से बच गई। हालांकि इस दौरान कोरोना को लेकर जो भी जागरुक करने वाली बाते होती थी उसे मैं दूसरों तक पहुंचाती थीं।

'शुरू में ऑक्सीजन लेवल तेजी से गिरा'
शुरुआत में तो मेरा ऑक्सीजन लेवल 90 तक आ गया था। मैं बिस्तर में लाचार पड़ी थी। डॉक्टर से बात करके मैंने घर पर ही एक सिलेंडर की व्यवस्था कर ली थी। जब भी लगता कि लेवल कम हो रहा है तो ऑक्सीजन ले लेती थी। हालांकि इसकी जरूरत कम ही पड़ी।

'धीरे-धीरे तबीयत ठीन होना शुरू हुई'
धीरे-धीरे मेरी तबीयत ठीन होना शुरू हुई। मैं खुद ही महसूस करने लगी कि शरीर के अलावा मानसिक आराम मिल रहा है। संक्रमण से उभरने के दौरान मैंने 2 से 3 किताबें पढ़ डाली। कुछ अच्छी फिल्में भी देखी। ऐसे में मेरे दिन भी कट जाते और मन का डर भी कम होने लगा। करीब 14 दिन बाद डॉक्टर ने कोरोना की जांच कराने के लिए कहा, जिसमें मेरी रिपोर्ट निगेटिव आई।

'ठीक होने के बाद भी 2 महीने तक खानी है दवा'
मैं कोरोना से ठीक हुई तो भी डॉक्टर ने कहा कि कम से कम दो महीने तक एक दवा चलेगी, जो खून को पतला करता है। मैंने इस दवा को लंबे समय तक लेने की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि कई केस मिल रहे हैं, जिसमें पोस्ट कोरोना ब्लड क्लॉटिंग की दिक्कत आ रही है ऐसे में ये दवा ब्लड क्लॉटिंग से बचाने का काम करेगी। मैंने भी दवा खाना जारी रखा।

कोरोना से उभरने की 3 सीख
कोरोना से लड़ने के दौरान मुझे महसूस हुआ शारीरिक की बजाय मानसिक रूप से मजबूत होने पर संक्रमण को हराया जा सकता है। इसके लिए अच्छी किताबें और उन लोगों की कहानियां पढ़ना फायदेमंद होता है जिन्होंने पहले संक्रमण को मात दिया है। ऐसे में कोरोना को हराने की मेरी तीन सीख है।


 
 

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