सार
एयर पॉल्यूशन (Air Pollution) की वजह से साल 2020 में दिल्ली में करीब 54,000 लोगों की मौत हो गई। यह बात एक रिसर्च स्टडी से पता चली है।
नेशनल डेस्क। एयर पॉल्यूशन (Air Pollution) की वजह से साल 2020 में दिल्ली में करीब 54,000 लोगों की मौत हो गई। यह बात एक रिसर्च स्टडी से पता चली है। दिल्ली की हवा में खतरनाक पीएम 2.5 (PM2.5) का स्तर बेहद बढ़ गया है। इस वजह से एक साल में हजारों लोगों की मौत हो गई। बता दें कि यह रिसर्च स्टडी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने की है। एयर पॉल्यूशन की वजह से होने वाली मृत्यु के निर्धारित दर से यह करीब छह गुना ज्यादा है। बता दें कि इस सीमा का निर्धारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने किया है।
क्या कहा गया स्टडी में
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की इस स्टडी में कहा गया कि पीएम 2.5 में 2.5 माइक्रोमीटर से भी छोटे सूक्ष्म कण होते हैं। ये पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक हैं, वहीं हवा में इनके फैलने की दर बढ़ती जा रही है। दिल्ली की हवा में लोगों को सांस लेने में जो परेशानी होती है, उसकी मुख्य वजह पीएम 2.5 ही है। इससे कई तरह की जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं। कहा गया कि साल 2015 की शुरुआत में इससे 4.2 मिलयन लोगों की मौतें हुईं।
प्रति मिलियन अनुमानित मौतें
IQAir डेटा के ग्रीनपीस दक्षिण पूर्व एशिया सर्वेक्षण के मुताबिक, दिल्ली में PM2.5 वायु प्रदूषण की वजह से प्रति मिलियन 1800 मौतें अनुमानित हैं। अध्ययन में कहा गया है कि एयर पॉल्यूशन से दूसरे भारतीय शहरों में भी बड़े पैमाने पर लोगों की मौत हो सकती है। स्डटी रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2020 में मुंबई में वायु प्रदूषण से 25 हजार लोगों की मौत हुई। वहीं बेंगलुरु में 12000, चेन्नई में 11000, हैदराबाद में 11000 और लखनऊ में 6700 लोग इससे प्रभावित हुए।
बढ़ता आर्थिक नुकसान
अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण अभी भी लगभग 6 गुना ज्यादा है। एयर पॉल्युशन से संबंधित आर्थिक नुकसान 8.1 मिलियन डॉलर (58,895 करोड़ रुपए) था, जो अब लगभग 13 मिलियन डॉलर है। एयर पॉल्यूशन जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन से बढ़ता है। इसलिए इसका इस्तेमाल कम से कम करने की सलाह दी गई है और रिन्यूएबल एनर्जी के स्रोतों की तलाश की बात कही गई है।
दुनिया के बड़े शहरों में मौतें
दुनिया भर में एयर पॉल्यूशन से अनुमानित 160,000 लोगों की मौतें हुई हैं। दिल्ली के अलावा प्रमुख शहरों मेक्सिको सिटी (22 मिलियन), साओ पाउलो (22 मिलियन), शंघाई (26 मिलियन) मौतें पीएम 2.5 की वजह से दर्ज की गई हैं। टोक्यो में इससे 37 मिलियन लोगों की मौत हुई है।