सार

कोरोना संकट के चलते पिछले एक साल से स्कूल नहीं खुल पाए हैं। स्कूल अब ऑनलाइन क्लासेस चला रहे हैं। लेकिन ज्यादातर स्कूलों ने अपनी फीस कम नहीं की है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि ऐसा कोई कानून नहीं है, जिससे वे राज्यों को फीस कम करने का आदेश दे सकें, लेकिन उनका भी यही मानना है कि फीस घटानी चाहिए। स्कूल मैनेजमेंट कोरोना की मौजूदा स्थिति को देखते हुए संवेदनशीलता दिखाएं।

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि कोरोनाकाल में स्कूल बंद हैं, ऐसे में उनका खर्चा कम हुआ है। इसे देखते हुए स्कूलों को अपनी फीस घटानी चाहिए। बता दें कि पिछले साल मार्च, 2020 में कोरोना ने देश में दस्तक दी थी। इसके बाद से स्कूल ठीक से नहीं खुल पाए हैं। इसके बावजूद ज्यादातर स्कूल फीस में कोई राहत नहीं देना चाहते। इसे लेकर राजस्थान के कुछ स्कूलों की शिकायत लेकर अभिभावक कोर्ट पहुंचे थे। इस पर हाईकोर्ट ने स्कूलों को 30% फीस कम करने का निर्देश दिया था। इस निर्देश के खिलाफ स्कूल संचालक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।

जानिए पूरा मामला...

  • कोविड के कारण स्कूल बंद हैं। ऐसे में सिर्फ ऑनलाइन क्लासेस चल रही हैं। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना कि स्कूल बंद होने की दशा में कैंपस में दी जाने वाली कई सुविधाओं पर खर्च नहीं हो रहा है। इसलिए स्कूलों को ऑनलाइन क्लासेस की फीस जरूरी घटाना चाहिए। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने कहा-भले ऐसा कोई कानून नहीं है, जो इस संबंध में आदेश जारी करने का अधिकार देता हो, लेकिन वे मानते हैं कि फीस कम होनी चाहिए।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्कूल मैनेजमेंट को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। लोग महामारी से परेशान हैं। ऐसे में स्कूलों को अभिभावकों और उनके बच्चों को राहत देने वाला कदम उठाना चाहिए।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कैंपस की सुविधाएं अभी छात्रों को नहीं मिल पा रही हैं। लेकिन स्कूल पूरी फीस ले रहे हैं, इससे उन्हें फायदा हो रहा है। स्कूलों को इस फायदे से बचना चाहिए।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी सुविधाओं के लिए फीसी लेना मुनाफ कमाने और व्यावसायीकरण में शामिल होने के बराबर है। स्कूलों का पेट्रोल-डीजल, बिजली, पानी, मेंटेनेंस, सफाई आदि का खर्चा बचा है।