सार
सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि उसकी ढीली जुबान ने पूरे देश में आग लगा दी। उसे जान का खतरा है या वह देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन गई है?
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निलंबित भाजपा नेता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) को पैगंबर के खिलाफ विवादित टिप्पणी के मामले में कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने नूपुर शर्मा से कहा कि वह अपनी टिप्पणी के लिए देश से माफी मांगें। नूपुर शर्मा को राहत देने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा कि उन्होंने यह टिप्पणी सस्ते प्रचार, राजनीतिक एजेंडे या कुछ नापाक गतिविधियों के लिए की थी।
नूपुर शर्मा को लेकर कोर्ट ने कही ये बात
- नूपुर शर्मा की ढीली जुबान ने पूरे देश में आग लगा दी। वह 10 साल तक वकील के रूप में काम करने का दावा करती है। उसे पूरे देश से तुरंत अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगनी चाहिए थी।
- ये टिप्पणियां (पैगंबर को लेकर नूपुर शर्मा का बयान) बहुत परेशान करने वाली हैं। इसमें अहंकार की बू आती है। इस तरह की टिप्पणी करने का उसका क्या काम है? इन टिप्पणियों से देश में दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं। ये लोग धार्मिक नहीं हैं। वे अन्य धर्मों के लिए सम्मान नहीं रखते हैं।
- उसे जान का खतरा है या वह देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन गई है? जिस तरह से उसने देश भर में भावनाओं को भड़काया, देश में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए यह महिला अकेले जिम्मेदार है। हमने बहस देखी है।
- उसने बहुत देर से माफी मांगी। वह सशर्त रूप से कह रही है कि अगर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है तो, उसे तुरंत टीवी पर जाकर देश से माफी मांगनी चाहिए थी।
- यदि आप किसी पार्टी के प्रवक्ता हैं तो यह इस तरह की बातें कहने का लाइसेंस नहीं है। अगर बहस का दुरुपयोग होता है तो सबसे पहले उन्हें एंकर के खिलाफ केस दर्ज करनी चाहिए थी।
- जांच में अब तक क्या हुआ है? दिल्ली पुलिस ने अब तक क्या किया? हमारा मुंह मत खुलवाओ। पुलिस ने तुम्हारे लिए रेड कार्पेट लगाया होगा।
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क्या है मामला?
बता दें कि नूपुर शर्मा ने एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में पैगम्बर को लेकर विवादित बयान दिया था। इसके बाद देश में कई जगह हिंसा भड़क गई थी। विदेशों में भी इसके खिलाफ आक्रोश प्रकट किया गया था। नूपुर शर्मा के खिलाफ देश के कई राज्यों में केस दर्ज किए गए हैं। उन्हें जान से मारने की धमकी मिली है। नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी कि उनके खिलाफ अलग-अलग राज्यों में दर्ज केस को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कोई राहत नहीं दी।
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