सार
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर फैसला सुना दिया है। विवादित जमीन पर मंदिर बनाने का फैसला दिया गया है। बेंच ने कहा कि एएसआई ने जो खुदाई की थी, उसे नकारा नहीं जा सकता। कोर्ट ने यह भी माना कि मस्जिद के ढांचे के नीचे विशाल संरचना मिली थी, जो गैर इस्लामिक थी।
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर फैसला सुना दिया है। विवादित जमीन पर मंदिर बनाने का फैसला दिया गया है। बेंच ने कहा कि एएसआई ने जो खुदाई की थी, उसे नकारा नहीं जा सकता। कोर्ट ने यह भी माना कि मस्जिद के ढांचे के नीचे विशाल संरचना मिली थी, जो गैर इस्लामिक थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में कहीं और 5 एकड़ जमीन दी जाए।
3 महीने में ट्रस्ट बनाने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में विवादित जमीन का फैसला देते हुए कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्रस्ट बनाए। मंदिर निर्माण के नियम बनाने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि चबूतरा,भंडार, सीता रसोई से भी दावे की पुष्टि होती है। हिन्दू परिक्रमा भी किया करते थे। लेकिन टाइटल सिर्फ आस्था से साबित नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 2010 में आया इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला जिसमें जमीन को तीन हिस्सों में बांटा गया था, तार्किक नहीं था।
सबसे पहले शिया सुन्नी पर फैसला
कोर्ट ने सबसे पहले शिया सुन्नी विवाद पर फैसला सुनाया। मामला था कि मस्जिद का मालिकाना हक किसका होगा। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने शिया वफ्फ बोर्ड की अर्जी खारिज कर दी और 1946 के फैसले को बरकरार रखा।
सुप्रीम कोर्ट फैसले के मुख्य अंश
1- कोर्ट ने विवादित जमीन पर रामलला का मालिकाना हक बताया। कोर्ट ने यह माना कि मस्जिद के ढांचे के नीचे विशाल संरचना मिली थी, जो गैर इस्लामिक थीं। मुस्लिम पक्ष को कहीं और 5 एकड़ जमीन दी जाए।
2- हिंदू सदियों से विवादित ढांचे पूजा करते रहे हैं, लेकिन मुस्लिम 1856 से पहले नमाज का दावा सिद्ध नहीं कर पाए। 1856 से पहले हिंदू अंदर पूजा करते थे, मनाही करने के बाद वे चबूतरे पर पूजा करने लगे।'
3- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हिंदू अयोध्या को राम का जन्मस्थान मानते हैं। उनके धार्मिक भावनाएं हैं। मुस्लिम इसे बाबरी मस्जिद बताते हैं। हिंदुओं का विश्वास कि राम का जन्म यहां हुआ है, वह निर्विवाद है। बेंच ने कहा- निर्मोही अखाड़े का दावा केवल प्रबंधन को लेकर है।
4- 'मुस्लिम दावा करते हैं कि 1949 तक लगातार नमाज पढ़ते थे, लेकिन 1856-57 तक ऐसा होने का कोई सबूत नहीं मिलता। अंग्रेजों ने रेलिंग बनाई थी, इससे दोनों पक्षों को अलग रखा जा सके।
5- सबूत हैं कि अंग्रेजों के आने से पहले राम चबूतरा, सीता रसोई में हिंदू पूजा करते थे। सबूतों में यह भी दिखता है कि विवादित जगह के बाहर हिंदू पूजा करते थे।