सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार यानी 11 अक्टूबर को 11 बजे स्वामित्य योजना (SVAMITVA) की शुरुआत की। इस योजना के तहत पीएम मोदी ने 1 लाख लोगों को जमीन के मालिकाना हक सौंपे। सरकार स्वामित्य योजना को ऐतिहासिक कदम बता रही है। इससे गांवों में चले आ रहे जमीनी विवादों को निपटाने में मदद मिलेगी।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार यानी 11 अक्टूबर को 11 बजे स्वामित्य योजना (SVAMITVA) की शुरुआत की। इस योजना के तहत पीएम मोदी ने 1 लाख लोगों को जमीन के मालिकाना हक सौंपे। सरकार स्वामित्य योजना को ऐतिहासिक कदम बता रही है। इससे गांवों में चले आ रहे जमीनी विवादों को निपटाने में मदद मिलेगी। इस योजना के अंतर्गत चार साल में चरणबद्ध तरीक से 6.62 लाख गांव आएंगे। अभी तक सरकार के पास गांव की आबादी की जमीन का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं था। रिकॉर्ड होने के बाद गांवों के लोगों को उनकी जमीन पर बैंक लोन भी मिल सकेगा।
कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कुछ लाभार्थियों से भी बातचीत की। बाराबंकी की रामरती ने पीएम मोदी को बताया कि उनके पति की 20 साल पहले मौत हो गई थी। लेकिन अब उन्हें घर के कागज मिल गए हैं। उन्होंने कहा, अब कोई हमें घर से बाहर नहीं निकाल पाएगा।
'आज का दिन ऐतिहासिक'
पीएम मोदी ने कहा, आज जिन एक लाख लोगों को अपने घरों का स्वामित्व पत्र या प्रॉपर्टी कार्ड मिला है, जिन्होंने अपना कार्ड डाउनलोड किया है, उन्हें मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज आपके पास एक अधिकार है, एक कानूनी दस्तावेज है कि आपका घर आपका ही है, आपका ही रहेगा।
उन्होंने कहा, ये योजना हमारे देश के गांवों में ऐतिहासिक परिवर्तन लाने वाली है। आत्मनिर्भर भारत अभियान में आज देश ने एक और बड़ा कदम उठा दिया है। स्वामित्व योजना, गांव में रहने वाले हमारे भाई-बहनों को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत मदद करने वाली है।
'आज दो महापुरुषों का जन्मदिन'
पीएम मोदी ने कहा, गांव और गरीब की आवाज को बुलंद करना जेपी और नानाजी के जीवन का साझा संकल्प रहा। इन दोनों महापुरुषों का सिर्फ जन्मदिन ही एक तारीख को नहीं पड़ता, बल्कि इनके संघर्ष और आदर्श भी एक समान रहे हैं। मुझे बहुत खुशी है कि आज इतना विराट काम, उस दिन हो रहा है, जब भारत के दो-दो महान सपूतों की जन्म जयंति है। एक भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण, और दूसरे भारत रत्न नानाजी देशमुख।
'जब संपत्ति पर अधिकार मिलता है तो नागरिकों में आत्मविश्वास बढ़ता है'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, पूरे विश्व के बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स इस बात पर जोर देते रहे हैं कि जमीन और घर के मालिकाना हक की, देश के विकास में बड़ी भूमिका होती है। जब संपत्ति का रिकॉर्ड होता है, जब संपत्ति पर अधिकार मिलता है तो नागरिकों में आत्मविश्वास बढ़ता है। दुनिया में एक तिहाई आबादी के पास ही कानूनी रूप से अपनी संपत्ति का रिकॉर्ड है, पूरी दुनिया में दो तिहाई लोगों के पास ये नहीं है। ऐसे में भारत जैसे विकासशील देश के लिए ये बहुत जरूरी है कि लोगों के पास उनकी संपत्ति का सही रिकॉर्ड हो।
24 अप्रैल को स्वामित्य योजना की शुरुआत की थी
पीएम मोदी ने 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायतराज दिवस पर स्वामित्य योजना की शुरुआत की थी। सरकार का लक्ष्य है कि 2024 तक 6.62 लाख गांवों की आबादी की जमीन का रिकॉर्ड उपलब्ध हो सके।
आसानी से मिल सकेगा कर्ज
पीएम ने कहा, संपत्ति का रिकॉर्ड होने पर बैंक से कर्ज आसानी से मिलता है, रोजगार-स्वरोजगार के रास्ते बनते हैं। जब संपत्ति का रिकॉर्ड होता है, जब संपत्ति पर अधिकार मिलता है तो नागरिकों में आत्मविश्वास बढ़ता है। जब संपत्ति का रिकॉर्ड होता है तो निवेश के लिए नए रास्ते खुलते हैं।
पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल से।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए हुआ कार्यक्रम
ग्रामीण क्षेत्रों को लेकर उठाए गए इस कदम से गांवों के करोड़ों लोग सशक्त हो जाएंगे। पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लोगों को संपत्ति कार्ड सौंपे। योजना की शुरुआत के साथ 1 लाख से ज्यादा लोगों के फोन पर एसएमएस लिंक भेजी गई, इसके जरिए वे संपत्ति कार्ड डाउनलोड कर सकेंगे।
इन 763 गांवों में बांटे जाएंगे कार्ड
पीएम मोदी ने 763 गांवों के 1.32 लाख लोगों को ये डिजिटल कार्ड दिए। इनमें उत्तरप्रदेश के 346, हरियाणा के 221, महाराष्ट्र के 100, मध्यप्रदेश के 44, उत्तराखंड के 50 और कर्नाटक के 2 गांव शामिल हैं। महाराष्ट्र को छोड़कर सभी राज्यों में सिर्फ 1 दिन में संपत्ति की डिजिटल कॉपी मिल जाएगी। जबकि महाराष्ट्र में संपत्ति कार्ड के लिए 1 महीने का इंतजार करना होगा।
क्या है स्वामित्य योजना?
स्वामित्य योजना पंचायती राज मंत्रालय की केंद्रीय योजना है। इसे पीएम मोदी ने 24 अप्रैल 2020 को लॉन्च किया था। इस स्कीम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में घरों के मालिकों को 'अधिकारों का रिकॉर्ड' प्रदान करना और संपत्ति कार्ड जारी करना है।
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और कर्नाटक राज्यों में लगभग 1 लाख गांव और पंजाब और राजस्थान के कुछ सीमावर्ती गांव, पंजाब और राजस्थान में गांवों को पायलट चरण (2020-21) में शामिल किया जा रहा है।