सार

तमिलनाडु. स्कूल में शिक्षक अपने स्टूडेंट्स के लिए कभी कभार कुछ ऐसा कर जाते हैं जो मिसाल बन जाता है। पर क्या आप सोच सकते हैं कि कोई टीचर बच्चों को स्कूल बुलाने के लिए 1 लाख रूपए तक खर्च कर डाले? नहीं न लेकिन ऐसा हुआ है तमिलनाडु से एक ऐसी ही खबर आई है कि लोग हैरान रह जाएं। 

तमिलनाडु. स्कूल में शिक्षक अपने स्टूडेंट्स के लिए कभी कभार कुछ ऐसा कर जाते हैं जो मिसाल बन जाता है। पर क्या आप सोच सकते हैं कि कोई टीचर बच्चों को स्कूल बुलाने के लिए 1 लाख रूपए तक खर्च कर डाले? नहीं न लेकिन ऐसा हुआ है तमिलनाडु से एक ऐसी ही खबर आई है कि लोग हैरान रह जाएं। जी हां स्कूल की टीचर ने बच्चों को एक नायाब तोहफा दिया। स्कूल टीचर ने गरीब बच्चों को करीब 1 लाख रूपए की कीमत के छतरी बांट दीं ताकि बच्चे स्कूल आना बंद न करें।

बारिश में बहुत से बच्चे सुविधाएं न होने के कारण स्कूल नहीं जा पाते हैं। गरीब फैमीलीज जरूरी चीजों को भी अरेंज नहीं कर पाती ऐसे में बच्चे की पढ़ाई खराब होती है। बारिश और बाढ़ से प्रभावित परिवारों की हालात को समझते हुए महिला टीचर ने एक तरकीब निकाली। बारिश के दिनों में छात्रों को स्कूल आने को प्रोत्साहित करने के लिए, तमिलनाडु के नागापट्टिनम जिले के एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षक ने गरीब बच्चों को छतरी बांट दीं। 
टीचर ने एक हजार छतरियां बांटी। जिसकी चर्चा अब चारों ओर हो रही है।

बेहद गरीब बच्चों की मदद- 

अंडरकाडु स्थित सुंडेरेसा विलास प्राइमरी स्कूल टीचर वंसता चित्रावेलु ने बताया कि, इलाके में अधिकतर परिवार बेहद गरीब तबके के हैं। ये वो परिवार हैं जो मानसून में गाजा साइक्लोन से प्रभावित होते हैं। बाढ़ में इन लोगों के घर डूब जाते हैं। गरीबी से जझ रहे मां-बाप बच्चों को मानसूनी कपड़े तक खरीद कर नहीं दे सकते। इसलिए मैंने उनकी मदद करने की सोचा। बारिश में बच्चे पूरी तरह पढ़ाई छोड़ देते हैं तो मैंने उन्हें स्कूल तक पहुंचने के लिए छतरी बांटी। 

वंसता का कहना है कि उन्होंने देखा है मानसून में मां बाप बच्चों का स्कूल छुड़वा देते हैं क्योंकि उनके पास बारिश से बचने के लिए रेनकोट या छाता नहीं है। इससे उनकी पढ़ाई खराब होती है। मैं करीब 28 साल से स्कूल में पढ़ा रही हूं जितना भी मैंने अब तक कमाया है उसके गरीब बच्चों की मदद करने के लिए खर्च करने का सोचा।

16 स्कूलों में बांटी छतरियां- 

मैंने सिर्फ अपने स्कूल के बच्चों को ही नहीं बल्कि जो भी गरीब बच्चे हैं उनको छतरी बांटी हैं ताकि वह पढ़ाई कर सके। इनमें से ज्यादातर गाजा साइक्लोन से प्रभावित बच्चे हैं।  टीचर ने मदुरै में एक कंपनी से करीब 1000 छतरियां खरीद ली। इसकी कीमत उन्हें 1 लाख देनी पड़ी। टीचर के घर एक बस से छाते पहुंचा दिए गए बाद में नागपट्टिनम और तिरुवरूर जिलों के 16 स्कूलों के 1,000 छात्रों को छतरियां बांट दी गईं।

काम करने वाले बच्चों को स्पेशल क्लास

वसंता दो बेटियों की मां हैं उनकी दोनों MBBS से ग्रेजुएट हैं। वसंत पिछले 28 वर्षों से स्कूल में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चो को पढ़ा रही हैं। वसंता ने कहा कि वह और उनके पति, वी चित्रवेलु, जो कि पास के ज्ञानंबिका एडेड प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर हैं, हमेशा से ही समाज सेवा और शिक्षण के बारे में सोचते रहे हैं। “मैं उन छात्रों के लिए स्पेशल क्लासेज लेती हूं जो रेगुलर स्कूल नहीं आ सकते और अपने मां बाप को घर चलाने में मदद करते हैं या काम करते हैं। मैं उनकी पढ़ाई में मदद करती हूं इसके अलावा हमारा पूरा परिवार समाज सेवा में जुड़ा हुआ है।

बेटी और पति भी करते हैं फंड जुटाने में मदद

मैं, मेरे पति और बड़ी बेटी तीनों कमाते हैं और एक संपन्न परिवार से हैं। हम जब भी किसी जरूरतमंद को देखते हैं तो मदद पहुंचाते हैं। इसके लिए पूरा परिवार फंड इकट्ठा कर लेता है। वसंता ने वेदारण्यम में लोगों से बहुत सद्भावना और सम्मान प्राप्त किया है। उन्हें विभिन्न पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया।