सार

सोमवार से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) का सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। इस दौरान बैठक में पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को उठाएगा। भारत ने एक बार फिर इस मुद्दे पर कश्मीर को मात देने की योजना तैयार कर ली है।

नई दिल्ली. सोमवार से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) का सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। इस दौरान बैठक में पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को उठाएगा। भारत ने एक बार फिर इस मुद्दे पर कश्मीर को मात देने की योजना तैयार कर ली है।  पाकिस्तान की ओर से विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी 9 से 12 सितंबर के बीच भारत के खिलाफ अपने देश का नेतृत्व करेंगे। 

9-27 सितंबर तक जेनेवा में चलने वाले इस सेशन में अगर पाकिस्तान भारत के खिलाफ प्रस्ताव आगे बढ़ाना चाहता है तो उसे 19 सितंबर से पहले ऐसा करना होगा। 

जयशंकर, डोभाल और शाह ने संभाला जिम्मा
जेनेवा और भारत के राजनयिक और सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक, जब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 47 सदस्यों के UNHRC के प्रत्येक सदस्य से मुलाकात और बातचीत की, उस वक्त भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कश्मीर में सुरक्षा स्थिति को संभाले रखा। इस दौरान सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि घाटी में एक भी नागरिक की मौत ना हो। वहीं, इस दौरान राजनीतिक गतिविधियों की जिम्मेदारी खुद गृह मंत्री अमित शाह ने संभाले रखी। 

कामयाब नहीं होगा पाकिस्तान
UNHRC में भारत का प्रतिनिधित्व सचिव (पूर्व) विजय ठाकुर सिंह और पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया करेंगे। उनके साथ अन्य अधिकारी भी रहेंगे। राजनयिकों के मुताबिक, पाकिस्तान UNHRC में तत्काल बहस या प्रस्ताव से पहले इस स्थिति का आकलन करेगा। अगर पाकिस्तान UNHRC अध्यक्ष को पत्र लिखकर तुरंत बहस की बात करता है तो स्थिति बहुमत पर निर्भर करेगी, जिसमें पाकिस्तान कभी कामयाब नहीं होगा। 

इसके बाद पाकिस्तान पर दूसरा रास्ता रह जाएगा, जिसके तहत वह कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन की बात कह कर प्रस्ताव रखेगा। लेकिन यह भी वोटों पर भी निर्भर करेगा।  हालांकि, भारत के लिए स्थिति थोड़ी मुश्किल हो सकती है, क्योंकि  UNSC की बैठक में चीन और ब्रिटेन ने पाकिस्तान का साथ दिया था। हालांकि, परिणाम भारत के पक्ष में ही थे, क्योंकि अमेरिका, रूस समेत तमाम देशों ने भारत का समर्थन दिया था। 

UNHRC देशों के सामने कश्मीर पर भारत ने अपना रुख साफ किया
भारत ने जब 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिया था, उसी वक्त से विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन, इंडोनेशिया, मालदीव, बेल्जियम, पोलैंड, रूस और हंगरी समेत कई देशों की यात्रा की और जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत का रुख साफ कर दिया। इसके अलावा उन्होंने हिंद महासागर रिम देशों और द. अफ्रीका, फिजी, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस सहित अन्य देशों में भी फोन पर बातचीत की। वे लगातार प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए काम में लगे हुए हैं कि UNHRC के सदस्य देशों के सामने कश्मीर पर भारत का मत साफ कर सकें कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। 

ज्यादातर देशों ने कश्मीर पर भारत के फैसले को आंतरिक मुद्दा माना
शुक्रवार को उन्होंने सिंगापुर में एचटी-मिंट एशिया समिट में कहा था कि ज्यादातर देश मानते हैं कि कश्मीर से धारा-370 हटाना भारत का आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा था, ''वे (अन्य देश) सोचते हैं कि यह एक भारतीय मुद्दा है। वे जानते हैं कि पाकिस्तान कश्मीर को लेकर बहुत कुछ कह रहा है। अगर किसी मुद्दे पर कोई परेशानी है तो भारत और पाकिस्तान को साथ बैठकर सुलझाना चाहिए।"

'230 से ज्यादा आतंकी घाटी में घुसपैठ करने की कोशिश में'
उधर, डोभाल ने राज्य की सुरक्षा स्थिति को संभाले रखा। उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि पाकिस्तान द्वारा किसी भी मासूम का इस्तेमाल मानवाधिकार उल्लंघन के तौर पर पेश करने के लिए ना हो सके। शनिवार को दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में डोभाल ने बताया था कि 230 से ज्यादा आतंकी घुसपैठ करने की कोशिश में लगे हैं। पाकिस्तान लगातार कश्मीर में माहौल बिगाड़ने की कोशिश में लगा है।