सार
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों के डेथ वारंट पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। जिसके बाद निर्भया के दादा ने कहा, इस बार उम्मीद थी की दोषियों को फांसी मिल जाएगी। लेकिन अब लगता है कि मैं अपने जीते-जी दरिंदों को फांसी पर लटकते देख नहीं पाऊंगा।
नई दिल्ली. सात साल से न्याय का इंतजार कर रहे निर्भया के परिवार का इंतजार थम नहीं रहा है। निर्भया के दोषियों को एक फरवरी को दी जाने वाली फांसी टल गई है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों के डेथ वारंट पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। अदालत ने फांसी की कोई तारीख निश्चित नहीं की है। इस तरह निर्भया के दोषियों की डेथ वारंट जारी होने के बाद दूसरी बार टल गई है। इन सब के बीच निर्भया के दादा ने कहा, इस बार उम्मीद थी की दोषियों को फांसी मिल जाएगी। लेकिन नहीं मिल पाई।
चैन से नहीं बैठूंगा
दोषियों की फांसी की तारीख अनिश्चितकाल तक टलने के बाद निर्भया के पिता ने भी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि फांसी में हो रही देरी आहत करने वाली है। दो बार फांसी की तारीख तय होने के बाद भी फांसी टल जाने से अब न्याय की मिलने की उम्मीद कम होती जा रही है। पिता ने कहा कि दरिंदे चाहे जितने कानूनी दाव-पेंच आजमा लें, उन्हें जब तक फांसी नहीं होती मैं चैन से नहीं बैठूंगा।
दादा का छलका दर्द
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक निर्भया के पिता ने कहा, मुझे उम्मीद थी कि इस बार दरिंदों को फांसी हो जाएगी, लेकिन एक बार फिर मामला कानूनी दांव-पेच में फंस गया। अब देखना है कि कब फांसी की डेट पड़ती है। वहीं, फांसी टलने से दुखी निर्भया के बाबा ने कहा कि इस बार उम्मीद थी, लेकिन अब लगता है कि मैं अपने जीते-जी दरिंदों को फांसी पर लटकते देख नहीं पाऊंगा।
पहले 22 जनवरी को मिलनी थी मौत
सात साल से न्याय के इंतजार में बैठी निर्भया की मां ने दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए डेथ वारंट जारी करने की मांग वाली याचिका ट्रायस कोर्ट में लगाई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए 7 जनवरी को कोर्ट ने डेथ वारंट जारी कर दिया। जिसमें दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी की तारीख तय हुई थी। लेकिन निर्भया के दोषियों ने कानून दांव पेंच का प्रयोग कर फांसी की तारीख को आगे बढ़वा लिया।
1 फरवरी तय हुई फांसी की तारीख
22 जनवरी को होने वाली फांसी टलने के बाद दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी करते हुए 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी का नया फरमान जारी किया था। लेकिन दोषियों ने फिर कानून दांव पेंच का प्रयोग करते हुए मौत का टाल दिया।
क्या है पूरा मामला ?
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया।जिसके बाद लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं।
छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया।बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।