सार
भारतीय वायुसेना की कमान संभाल रहे राकेश कुमार सिंह, जलसेना अध्यक्ष ऐडमिरल करमबीर सिंह और आगामी दिनों थलसेना की कमान संभालने वाले लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने एक साथ डिफेंस एकेडमी ज्वाइन की थी। जिसके बाद अब तीनों सेना प्रमुख के रूप में जल, थल और नभ सेना की कमान संभालेंगे।
नई दिल्ली. भारत के तीनों सेनाओं के प्रमुख जब करमबीर सिंह, राकेश कुमार सिंह और मनोज मुकुंद नरवणे ने जब 17-17 साल की उम्र में नेशनल डिफेंस एकेडमी को ज्वाइन किया था। तब शायद उन्होंने यह सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन ये तीनों बैचमेट सेना का नेतृत्व करेंगे यानी सेना प्रमुख होंगे। लेकिन तीनों बैचमेट को सेना में सेवा देते हुए 44 साल बीत गए हैं। जिसके बाद आज यह तीनों सेना के सबसे उच्च पदों पर आसीन है। शायद ही ऐसा कभी होता है कि एकेडमी में एक साथ सेना की शिक्षा-दीक्षा ग्रहण करने वाले साथी एक साथ तीन सेनाओं का नेतृत्व करते हो। हालांकि 30 साल पूर्व ऐसा ही नजारा देखने को मिला था जब तीनों सेना के प्रमुख बैचमेट थे।
17 साल की उम्र में थी यह समानता
भारतीय वायुसेना की कमान संभाल रहे राकेश कुमार सिंह, जलसेना अध्यक्ष ऐडमिरल करमबीर सिंह और आगामी दिनों थलसेना की कमान संभालने वाले लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने जब डिफेंस एकेडमी ज्वाइन की थी। तब तीनों में सिर्फ एक ही समानता थी कि तीनों के पिता इंडियन एयर फोर्स में सेवा दे चुके थे। आज 44 साल बाद तीनों अपनी-अपनी सर्विस में शीर्ष पर हैं।
31 दिसंबर को आर्मी चीफ बनेंगे लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे
31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे थलसेना अध्यक्ष बिपिन रावत के बाद लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे 31 दिसंबर को अगले आर्मी चीफ के तौर पर कार्यभार संभालेंगे। जिसके बाद वह एनडीए के अपने कोर्समेट- ऐडमिरल करमबीर सिंह और एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया के साथ मिलकर देश की सेनाओं की कमान संभालेंगे।
ऐडमिरल, एयर चीफ मार्शल और नेक्स्ट जनरल तीनों ही बैचमेट
ऐडमिरल सिंह 31 मई को देश के 24 वें नेवी चीफ के रूप में कार्यभार संभाला था। जबकि एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने 30 सितंबर को एयर फोर्स के प्रमुख की कमान संभाली थी। इन दोनों के बागद अब तीसरे बैचमेट मनोज 31 दिसंबर को थल सेना की कमान संभाली थी।
इन कारणों से तीनों एक साथ है सेना प्रमुख
जानकारी के मुताबिक लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे इस महीने के आखिर में 28वें आर्मी चीफ की जिम्मेदारी संभालेंगे। उनके ओलाइव-ग्रीन यूनिफॉर्म पर पैराट्रूपर विंग है। तीनों एनडीए के 56वें कोर्स का हिस्सा थे। एनडीए कैडेट के तौर पर 3 साल का कोर्स पूरा करने के बाद तीनों अपने-अपने सर्विस एकेडमी में पहुंचे। जहां जून-जुलाई 1980 में ऑफिसर्स के तौर पर तैनात हुए है। एक सीनियर ऑफिसर ने बताया, 'यह बहुत ही दुर्लभ है कि एनडीए के 3 कोर्समेट अपनी-अपनी सेनाओं के प्रमुख हैं क्योंकि इसके लिए जन्मतिथि, करियर का रेकॉर्ड, मेरिट, वरिष्ठता जैसी तमाम बातें देखी जाती हैं और इन सबके साथ लक भी।'
1991 में भी दिखा था ऐसा ही नजारा
सर्विस चीफ 62 साल की उम्र तक या 3 सालों तक सेवा दे सकता है और दूसरी तरफ थ्री-स्टार जनरल यानी लेफ्टिनेंट जनरल, एयर मार्शल और वाइस ऐडमिरल 60 साल की उम्र में रिटायर हो जाते हैं। इसी से जाहिर है कि तीनों बैचमेट का अपनी-अपनी सर्विस में चीफ बनना कितना दुर्लभ है। हालांकि दिसंबर 1991 में एनडीए के 81वें कोर्स के पासिंग आउट परेड में तीनों सेनाओं के तत्कालीन प्रमुख- जनरल एसएफ रो़ड्रिक्स, ऐडमिरल एल. रामदास और एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी मौजूद थे। यह भी दुर्लभ दृश्य था क्योंकि तीनों ही एनडीए के बैचमेट थे।
नरवणे और सिंह बचपन के दोस्त
लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे और एयर चीफ मार्शल भदौरिया जहां एनडीए में 'लीमा' स्क्वॉड्रन का हिस्सा थे, ऐडमिरल सिंह 'हंटर' स्क्वॉड्रन में थे। एक ऑफिसर ने बताया, 'पहले दोनों तो स्क्वॉड्रन मेट भी थे। इसके अलावा, ऐडमिरल सिंह और लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे तो एनडीए जॉइन करने से पहले के दोस्त थे क्योंकि दोनों ने कुछ साल एक ही स्कूल में पढ़ाई की थी।'