सार
कोरोना महामारी की वजह से हर जगह प्रवासी मजदूरों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। शुक्रवार को बेंगलुरु में रह रहे ओडिशा के हजारों मजदूरों को फोन पर मैसेज मिला कि शनिवार को पुरी के लिए एक ट्रेन जा रही है। इसके बाद मजदूर घर वापसी के लिए पैलेस ग्राउंड्स पर जमा होने लगे, लेकिन यह सूचना झूठी थी।
बेंगलुरु। कोरोना महामारी की वजह से हर जगह प्रवासी मजदूरों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। शुक्रवार को बेंगलुरु में रह रहे ओडिशा के हजारों मजदूरों को फोन पर मैसेज मिला कि शनिवार को पुरी के लिए एक ट्रेन जा रही है। इसके बाद मजदूर घर वापसी के लिए पैलेस ग्राउंड्स पर जमा होने लगे। जिन मजदूरों को फोन पर यह मैसेज मिला, उन्होंने वॉटसऐप पर इसे दूसरों को भी भेज दिया। बाद में पता चला कि यह सूचना झूठी थी। बेंगलुरु से कोई भी ट्रेन पुरी के लिए नहीं जाने वाली थी। लेकिन हजारों की संख्या में मजदूरों के जुट जाने से अफरातफरी का माहौल बन गया।
मणिपुर और ओडिशा के लिए जानी थीं ट्रेनें
जानकारी के मुताबिक, दो ट्रेनें प्रवासी मजदूरों को लेकर जाने वाली थीं। एक ट्रेन 1500 यात्रियों को लेकर मणिपुर जाने वाली थी और दूसरी 1600 यात्रियों के लेकर ओडिशा। इन ट्रेनों से जिन लोगों को जाना था, उन्हें मेडिकल जांच और दूसरी औपचारिकताओं के लिए पैलेस ग्राउंड्स पर बुलाया गया था। वहां से उन्हें रेलवे स्टेशन ले जाया जाता। लेकिन सेवा सिंधु पोर्टल पर एक एरर आ जाने की वजह से 9000 लोगों के पास यह मैसेज चला गया कि वे ओडिशा जाने के लिए शानिवार की सुबह तक पैलेस ग्राउंड्स पर आ जाएं। इन लोगों ने घर वापसी के लिए इसी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया था।
मची भारी अफरातफरी
जब प्रवासी मजदूरों को यह मैसेज मिला, वे बड़ी संख्या में पैलेस ग्राउंड्स पर जमा होने लगे, लेकिन वहां किसी तरह की जांच की कोई व्यवस्था नहीं थी। मजदूर अपने सारे सामान के साथ घरों को खाली कर के वहां आए थे। वहां तक पहुंचने में उन्हें काफी पैसे भी खर्च करने पड़े थे। लेकिन उनके लिए कोई ट्रेन जाने वाली नहीं थी। जिन ट्रेनों को जाना था, वे पहले से ही भरी हुई थीं।
मुसीबत में फंसे मजदूर
मजदूरों का कहना था कि जब उन्हें मैसेज मिला, तब वे किसी तरह पैसों की व्यवस्था करके निकल पड़े। उनके पास अब न तो पैसे हैं और न ही रहने की कोई जगह है। जहां वे रह रहे थे, वह जगह खाली कर दी और सारे सामान के साथ ट्रेन पकड़ने चले आए। इधर. सेवा सिंधु पोर्टल का कहना है कि ऐसा किसी टेक्निकल मिस्टेक की वजह से हुआ, लेकिन इसका भारी खामियाजा मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है। मजदूरों का कहना है कि उनकी कोई गलती नहीं है। उनके तो पैसे बर्बाद हो गए और परेशानी अलग से भुगतनी पड़ रही है। बहुत से मजदूर अभी भी पैलेस ग्राउंड्स के बाहर किसी अगली सूचना के इंतजार में बैठे हुए हैं।