सार

दरअसल, ट्रिपल तलाक बिल पर विपक्ष ही नहीं, बल्कि बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू भी सहमत नहीं है। ऐसे में राज्यसभा में इस पर पेंच फंस सकता है।

नई दिल्ली। तीन तलाक बिल लोकसभा में भले ही पास हो गया है, लेकिन इसे राज्यसभा में पास कराना फिलहाल सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगा। दरअसल, बिल पर विपक्ष ही नहीं बल्कि सहयोगी दल जेडीयू भी सहमत नहीं है। ऐसे में राज्यसभा में इस पर पेंच फंस सकता है। मोदी सरकार के इस कार्यकाल में आरटीआई बिल के मसले पर पहले से ही 14 राजनीतिक दल एकजुट हैं। तीन तलाक पर भी इन दलों का रुख वैसा ही है। इन दलों के राज्यसभा सदस्यों की संख्या 111 है। ऐसे में जदयू के छह राज्यसभा सांसद भी अगर बिल के खिलाफ हुए तो आंकड़ा 117 पहुंच जाएगा, जबकि राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा 123 है। दरअसल, अभी राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत के आंकड़े से करीब 6 सदस्य कम हैं। ऐसे में अगर विपक्ष ने कुछ और सांसदों को अपने पाले में कर लिया तो फिर ट्रिपल तलाक बिल पास कराने में पेंच फंस सकता है। 

राज्यसभा में विपक्ष का संख्या बल
बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के पास फिलहाल राज्यसभा में 117 लोगों का समर्थन है। 245 सदस्यीय राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा 123 है। ऐसे में अगर तीन तलाक के मसले पर जेडीयू ने एनडीए का साथ छोड़ा तो फिर यह आंकड़ा 111 रह जाएगा, जिससे बिल पास कराने में सरकार को मुश्किल होगी। 

2020 तक एनडीए को राज्यसभा में मिल सकता है बहुमत
राज्यसभा में एनडीए को अधिकतम सीट हासिल करने के लिए अगले साल होने वाले तीन राज्यों -महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभा चुनाव में भारी जीत हासिल करनी होगी। अगले साल तक राज्य सभा की 81 सीटें भी खाली हो रही हैं। ऐसे में अगर एनडीए इन राज्यों में अच्छी जीत हासिल करती है तो राज्यसभा में बहुमत के आंकड़े तक पहुंच सकती है।