सार
दूसरे कोविड लहर के बाद वैक्सीन के प्रति क्या है लोगों की सोच, वह वैक्सीन लगवाना चाहते हैं या नहीं। इन कई जरुरी सवालों को लेकर एक सर्वे किया गया। साथ ही, लोगों से यह समझने की कोशिश किया गया कि उन्हें या उनके परिवार के सदस्यों को किस तरह के दुष्प्रभाव हुए। सर्वेक्षण में यह भी समझने की कोशिश की गई है कि क्या लोगों के बीच किसी विशेष वैक्सीन के लिए अधिक प्राथमिकता है।
नई दिल्ली। भारत में कोरोना कोरोना का दूसरा फेज तेजी से पांव पसार रहा है। कोरोना संक्रमण में आई तेजी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते दो सप्ताह में प्रतिदिन 16 हजार केस से बढ़कर 90 हजार/प्रतिदिन का आंकड़ा पार कर चुका है। इन आंकड़ों से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीते साल के मुकाबले इस बार लौटकर आया कोरोना कितना खतरनाक साबित हो रहा है। बीते 24 घंटे में मौतों का आंकड़ा 713 तक पहुंच गया है। यही नहीं एक दिन में आने वाले एक्टिव केसों की संख्या पिछले साल के मुकाबले महज नौ हजार ही कम है। हालांकि, संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सिनेशन का सबसे बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। सरकार लगातार इसकी मानिटरिंग कर रही है और अधिक से अधिक वैक्सिनेशन पर जोर दे रही है। लेकिन लोग वैक्सीन के प्रति खासे उदासीन थे, पर फिर लौटे कोरोना का डर लोगों को वैक्सीन लगवाने के व्यवहार में खास परिवर्तन कर दिया है।
वैक्सीन के प्रभाव व बदली स्थितियों पर क्या है लोगों की सोच
दूसरे कोविड लहर के बाद वैक्सीन के प्रति क्या है लोगों की सोच, वह वैक्सीन लगवाना चाहते हैं या नहीं। इन कई जरुरी सवालों को लेकर एक सर्वे एजेंसी लोकल सर्किल ने सर्वे किया। साथ ही, लोगों से यह समझने की कोशिश किया गया कि उन्हें या उनके परिवार के सदस्यों को किस तरह के दुष्प्रभाव हुए। सर्वेक्षण में यह भी समझने की कोशिश की गई है कि क्या लोगों के बीच किसी विशेष वैक्सीन के लिए अधिक प्राथमिकता है। सर्वेक्षण में भारत के 299 जिलों में स्थित नागरिकों से 27,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं जुटाई गई हैं।
75 दिनों में वैक्सीन लेने को इच्छुक लोगों का प्रतिशत 38 से 77 हुआ
सर्व में शामिल लोगों से जाना गया कि क्या लोगों में वैक्सीन लेने की रुचि बढ़ी है या अनिच्छा/संकोच का प्रतिशत बढ़ गया है। या अपरिवर्तित है। 1 मार्च 2021 को किए गए सर्वेक्षण में टीके लेने के इच्छुक 64 प्रतिशत के साथ 45 दिनों के भीतर टीके के संकोच में 36 प्रतिशत की गिरावट का संकेत दिया गया था। नए रिपोर्ट्स के अनुसार टीका लेने के इच्छुक नागरिकों का प्रतिशत अब 77 प्रतिशत है। रिपोर्ट्स की मानें तो जनवरी 2021 के दूसरे सप्ताह के अंत में वैक्सीन लेने के इच्छुक नागरिकों का प्रतिशत 38 प्रतिशत से बढ़कर जनवरी 2021 के तीसरे सप्ताह में 40 प्रतिशत हो गया। फरवरी के पहले सप्ताह में यह बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया। जबकि 50 प्रतिशत दूसरे सप्ताह, तीसरे सप्ताह में 64 प्रतिशत और इस सप्ताह 77 प्रतिशत पर है। यानी वैक्सीन के प्रति लोगों का पाॅजिटिव रिस्पांस बढ़ा है। बीते 75 दिनों की अवधि में वैक्सीन लेने के वाले वाले लोगों का प्रतिशत 38 प्रतिशत से 77 प्रतिशत हो गया है।
अभी भी कुछ लोगों में वैक्सीन के प्रति भ्रम बरकरार
सर्वे के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद भी 36 प्रतिशत लोग वैक्सीन के प्रति आशंकित हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के बड़े नेताओं व पापुलर चेहरों के वैक्सीन डोज लेने के बाद लोगों में वैक्सीन के प्रति भ्रम दूर हो रहा है। भारत में मार्च के मध्य से शुरू होने वाले कोविड मामलों में 14,000, 2021 से प्रतिदिन 16,000 प्रतिदिन से बढ़ कर अब प्रति दिन लगभग 90,000 तक पहुंचने के बाद, वैक्सीन लेने में हिचक वाले लोगों के मन में तेजी से बदलाव हो रहा है। इस सप्ताह, वैक्सीन लेने में संकोच करने वाले नागरिकों का प्रतिशत अब 23 प्रतिशत है।
वैक्सीन ले चुके 52 प्रतिशत लोगों को कोई साइड इफेक्ट नहीं
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार जिन लोगों को कोविड वैक्सीन लगाई जा रही है उनको बुखार, थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, दस्त, और इंजेक्शन स्थल पर दर्द जैसे साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि कोविड वैक्सीन का गंभीर या लंबे समय तक चलने वाले दुष्प्रभाव भी सामने आ सकते हैं लेकिन इस तरह के मामले बेहद कम या नहीं हैं।
टीकाकरण के बाद क्या लोगों को किसी प्रकार के साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ा, इस बाबत हुए सर्वे में दस प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनको बुखार, शरीर में दर्द, खराश का सामना करना पड़ा। जबकि 13 प्रतिशत को दर्द व हाथ में दिक्कत महसूस हुई। पांच प्रतिशत को खराश व हाथ में दिक्कत महसूस हुआ।
2 प्रतिशत नागरिकों ने बताया कि उनके हाथ, शरीर में दर्द और बुखार से अधिक गंभीर दुष्प्रभाव थे जबकि 1 प्रतिशत ने यह नहीं कहा। सर्वे के अनुसार कुल 52 प्रतिशत नागरिकों ने दावा किया कि उनको कोई साइड-इफेक्ट नहीं था। हालांकि, सर्वेक्षण में शामिल 2 प्रतिशत नागरिकों ने कहा है कि उनके साइड इफेक्ट्स ऊपर के लोगों की तुलना में अधिक गंभीर थे। इन मामलों में अनुसंधान को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि आगे किसी चुनौती का सामना न करना पड़े। इस सर्वेक्षण में 9,501 प्रतिक्रियाएं मिलीं।
कोविशिल्ड से ज्यादा भरोसा कर रहे लोग कोवैक्सीन पर
भारत में दो कंपनियों की वैक्सीन लगाई जा रही है। वैक्सीन को लेकर लोगों की क्या है प्राथमिकता। क्या वह देश में इस्तेमाल हो रहे दोनों वैक्सीन में किसी एक को चुनना चाहते हैं या किसी अन्य वैक्सीन का इंतजार। सर्वे में लोगों से इस बारे में सवाल किए गए तो काफी बेहतर प्रतिक्रियाएं मिली। भारत की किस वैक्सीन को प्राथमिकता लोग देंगे, इस सवाल पर 25 प्रतिशत लोगों का जवाब था कोविशिल्ड, जबकि 33 प्रतिशत ने कोवैक्सीन को चुना। हालांकि, 37 प्रतिशत ने कहा कि उनके लिए कोई प्राथमिकता नहीं है। दोनों में कोई भी लगवा सकते हैं। यही नहीं सर्वे में शामिल लोगों में पांच प्रतिशत ऐसे भी थे जिन्होंने कहा कि वे दूसरी वैक्सीन का इंतजार करेंगे यानी दोनों में किसी पर भरोसा अभी तक नहीं बन पाया है।
सर्वेक्षण के निष्कर्षों से पता चलता है कि वर्तमान में कोविशिल्ड की तुलना में लोगों का कोवैक्सीन पर थोड़ा अधिक भरोसा है। यह उन प्रतिबंधों की वजह से भी है जिसमें कुछ देशों ने आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को नागरिकों को लगाना बंद कर दिया है। एक सप्ताह पहले ही कनाडा ने 55 साल से कम उम्र के नागरिकों के लिए इस वैक्सीन का उपयोग बंद किया। यहां बता दें कि कोविशिल्ड भारत में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का ब्रांड है। दूसरी ओर, ब्राजील रेगुलेटरी ने कुछ दिन पहले कोवाक्सिन आयात करने की अनुमति से इनकार कर दिया। इनकार की वजह में बताया गया है कि कोवैक्सीन निर्माण के दौरान सीजीएमपी मानकों को पूरा करने में असफल रहा। इस सर्वे में 8432 लोग शामिल हुए।