सार

वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए बीजेपी को दो-तिहाई बहुमत नहीं मिल रहा है। संविधान संशोधन विधेयक पास कराने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं होने से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ीं। क्या बीजेपी इस बिल को पास करा पाएगी?

One Nation One Election: वन नेशन-वन इलेक्शन के बीजेपी का सपना अभी हकीकत बनने में देर लगने की संभावना है। दरअसल, बीजेपी के नेतृत्व वाले दलों के पास दो-तिहाई बहुमत नहीं होने की वजह से सदन में पास होना मुश्किल हो गया है। मंगलवार को बीजेपी ने लोकसभा में दो विधेयक पारित कराने के लिए पेश किया लेकिन पर्याप्त संख्या नहीं होने से पास नहीं हो सके। यह विधेयक संविधान संशोधन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते जिससे वन नेशन-वन इलेक्शन का रास्ता साफ हो जाता।

पेश हुए विधेयकों में से एक विधेयक राज्य विधानसभाओं की अवधि और विघटन में बदलाव और उनके कार्यकाल को लोकसभा से जोड़ने का प्रस्ताव करता है जबकि दूसरा विधेयक दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी के केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में इसी तरह के बदलाव का प्रस्ताव करता है।

दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में भारत सरकार ने पैनल बनाया था। इस पैनल की रिपोर्ट को बीते दिनों मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दी जिससे वन नेशन-वन इलेक्शन कराने के लिए संसद में विधेयक लाने का रास्ता साफ हो गया। लेकिन बीजेपी के वन नेशन-वन इलेक्शन के सपने को साकार होने में सबसे बड़ा रोड़ा संख्याबल है। ओएनओपी के लिए संविधान में संशोधन कराना होगा। इन संशोधनों के लिए विधेयकों को लोकसभा से पारित होने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता है। बिल पेश करने के लिए मंगलवार को जब वोट कराया गया तो संख्याबल के हिसाब से स्पष्ट हो गया कि बीजेपी के पास दो-तिहाई बहुमत का अभाव है। संविधान में 129वें संशोधन के लिए जब विधेयक लोकसभा में लाया गया तो ओएनओपी नंबर गेम में सत्ता पक्ष को मंगलवार को 269 वोट मिले जबकि विपक्ष को 198 वोट मिले। जबकि अगर दो-तिहाई बहुमत की बात करें तो उसे पास कराने के लिए 307 सांसदों की आवश्यकता होगी।

अब समझते हैं एनडीए की वर्तमान स्थिति...

दरअसल, नियम कहता है कि संविधान में संशोधान करने में उपस्थित और वोट करने वाले दो-तिहाई सांसदों की मंजूरी आवश्यक होती है। ऐसे में अगर मंगलवार को सत्तापक्ष संविधान के 129वें संशोधन बिल को पास कराने की कोशिश करती तो प्रस्ताव गिर जाता। यह इसलिए क्योंकि बीजेपी और उसके सहयोगी एनडी के पास संख्याबल नहीं है। एनडीए के पास 293 सांसद हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन इंडिया के पास 234 सांसद हैं। व्हिप जारी होने के बाद अगर संसद में पूरी उपस्थिति के दौरान बिल पास कराने की कोशिश हुई तो दो-तिहाई संख्या के लिए 362 सांसदों की आवश्यकता होगी। ऐसे में आवश्यक संख्या जुटाने के लिए विपक्षी गठबंधन इंडिया के दलों के समर्थन की आवश्यकता हो सकती है। वैसे, एनडीए को आंध्र प्रदेश के चार सांसदों वाली वाईएसआर कांग्रेस और एक सांसद वाले अकाली दल का समर्थन मिल सकता है। ऐसे में बीजेपी को 64 और सांसदों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी।

जेपीसी के पास पहले भेजेगी ताकि कुछ और विपक्षी दलों को साध सके

बीजेपी के पास एक दूसरा विकल्प यह है कि वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए सबसे पहले वह बिल को जेपीसी में भेजे। लोकसभा में जेपीसी का गठन किया जाएगा। जेपीसी में सभी दलों का प्रतिनिधित्व होता है। जेपीसी में व्यापक चर्चा होती है। ऐसे में बीजेपी को इस बिल को पास कराने में समय मिल जाएगा और कुछ और दलों को साधने का मौका भी मिल सकता है।

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