सार
बांद्रा में हजारों की संख्या में जुटे प्रवासी मजदूरों के बाद महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठने शुरू हो गए। कुछ दी देर में प्रदेश के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंन कहा, हम गंभीरता से कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।
बांद्रा घटना पर उद्धव ठाकरे ने क्या कहा?
बांद्रा घटना पर मुख्यमंत्री ने कहा, आप क्यों परेशान हो रहे हैं। किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है। मजदूरों के खाने का इंतजाम कर रह रहे हैं। लॉकडाउन से घबराने की जरूरत नहीं है। एक बार लॉकडाउन खुलने दीजिए। उसके बाद हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आप अपने घर जा सके। हम 6 लाख प्रवासियों को खाना और आश्रय दे रहे हैं। वे थोड़े चिंतित हैं। मैं उनसे अपील करना चाहता हूं, हमारे साथ रहें। हम इससे मिलकर लड़ेंगे। हम हमारा ख्याल रखेंगे।
"अफवाह की वजह से इकट्ठा हुए लोग"
उद्धव ठाकरे ने कहा, किसी ने अफवाह फैलाई की 14 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म हो रहा है और इसके बाद से ट्रेन चलने लगेंगी। लोगों को लगा कि वे अपने घर जा सकते हैं। मैं कहता हूं कि वे घबराए नहीं। प्रवासी मजदूरों के लिए रहने और खाने की व्यवस्था की गई है। उद्धव ने कहा, कॉन्टेनमेंट जोन में कभी-कभी कुछ असुविधा होती है, लेकिन हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि आवश्यक आपूर्ति में बाधा नही आने देंगे। हम पीपीई की सप्लाई को और ज्यादा बढ़ा रहे हैं।
"यह वक्त राजनीति करने का नहीं है"
उद्धव ठाकरे ने अपने विरोधियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, मैं एक बार फिर कहना चाहता हूं, यह राजनीति का समय नहीं है। राजनीति करने के लिए हमारे पास बहुत वक्त है। अभी एक साथ लड़ने का समय है।
देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव पर साधा निशाना
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, बांद्रा में हुई घटना बहुत ही गंभीर है। हम पहले दिन से सरकार को बता रहे हैं कि जो प्रवासी मजदूर हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उनकी व्यवस्था सरकार को करनी होगी। सरकार ये व्यवस्था करने में असफल रही है। बांद्रा जैसी जगह पर सरकार की नाक के नीचे इतने बड़े पैमाने पर मजदूर इकट्ठा होकर कहते हैं कि हमें या तो खाना दीजिए या तो वापिस जाने दीजिए। मैं सरकार से निवेदन करता हूं कि सबसे पहले ऐसे लोगों की सुध ले।
बांद्रा रेलवे स्टेशन पर क्या हुआ?
महाराष्ट्र सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित है। इसके बावजूद मुंबई में बड़ी लापरवाही सामने आई। यहां बांद्रा रेलवे स्टेशन पर हजारों की संख्या में मजदूर इकट्ठा हो गए, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज कर वहां से मजदूरों को खदेड़ना पड़ा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रवासी कामगारों को लगा कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म हो जाएगा। इसके बाद ट्रेन चलने लगेगी। इसलिए वह ट्रेन पकड़ने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंच गए। ऐसी ही अफवाह तब उड़ी थी, जब लॉकडाउन का ऐलान किया गया था। तब अफवाह उड़ी कि दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर बसे खड़ी हैं, जो लोगों को उनके घर पहुंचाएंगी। इसी के चलते वहां पर हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हो गए।