सार
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को क्लाइमेट लीडर कहा है। संयुक्त राष्ट्र के उच्च स्तरीय राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में बिहार सरकार द्वारा चलाए जा रहे जल जीवन हरियाली अभियान को दुनिया के लिए बेहतरीन उदाहरण बताया गया है।
नई दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को क्लाइमेट लीडर कहा है। संयुक्त राष्ट्र के उच्च स्तरीय राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में बिहार सरकार द्वारा चलाए जा रहे जल जीवन हरियाली अभियान को दुनिया के लिए बेहतरीन उदाहरण बताया गया है। क्लाइमेट चेंज को लेकर गुरुवार को यह कॉन्फ्रेंस हुई। इसे नीतीश कुमार के अलावा कई देशों के प्रधानमंत्री एवं प्रमुख नेताओं ने संबोधित किया।
नीतीश ने विश्व समुदाय से ‘कार्बन न्यूट्रल फ्यूचर’ की परिकल्पना को साकार करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज द्वारा उत्पन्न खतरनाक संकटों के मद्देनजर हमने विकास की अपनी रणनीति बदली है. हम ग्रीन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दे रहे हैं। पेड़-पौधों की संख्या बढ़ा रहे हैं ताकि हरियाली कम न हो। संयुक्त राष्ट्र में पर्यावरण मामलों के भारत के प्रमुख अतुल बगई ने जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा से कहा कि जल-जीव-हरियाली अभियान, पूरे विश्व में ‘कार्बन न्यूट्रालिटी’ का लक्ष्य हासिल करने के लिए पथ प्रदर्शक बनेगा। इसे और तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए. ताकि पूरी दुनिया को इससे कुछ सीखने को मिले।
जल संरक्षण और हरियाली अभियान को जोड़कर नया रूप दिया गया:नीतीश
सीएम नीतीश कुमार ने कॉन्फ्रेंस में कहा कि जल संरक्षण और हरियाली अभियान को जोड़कर नया रूप दिया गया है। इसलिए इसका नाम जल-जीवन-हरियाली अभियान है। हमारा मानना है कि जल और हरियाली है, तभी जीवन सुरक्षित है। हमनें एक बेहद जरूरी और नीतिगत पहल की है। जैसे-पर्यावरण के अनुकूल खेती, भूजल, सतही और बारिश के जल का संरक्षण, हरित ऊर्जा, जैव विविधता का संरक्षण।
जन सहभागिता पर आधारित है ये प्रयास
सीएम नीतीश ने कहा कि हरियाली को बढ़ाने का हमारा प्रयास जन सहभागिता पर आधारित है। हमलोग फूड फॉरेस्ट्री को बढ़ावा दे रहे हैं, ताकि हरियाली बढ़ने के साथ खाद्य सुरक्षा भी हो। इसके लिए हमने राज्य बजट से 3.5 अरब डॉलर का आवंटन किया है। हमें उम्मीद है कि यह अभियान तापमान कम करने के वैश्विक लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा। जनजागृति पैदा करने के लिए 19 जनवरी 2020 को 18 हजार किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाई गई। इसमें 5.16 करोड़ लोग शामिल हुए।