सार

वक्फ (संशोधन) विधेयक में कई अहम बदलावों को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। संयुक्त संसदीय समिति के सुझावों को शामिल करते हुए, गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ परिषद में जगह दी जाएगी और संपत्ति रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बनाया गया है।

Waqf (Amendment) Bill: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक (Waqf Bill) में बदलावों को मंजूरी दे दी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह हुई बैठक में संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) द्वारा प्रस्तावित 23 में से 14 बदलावों को स्वीकार कर लिया है। अगस्त में वक्फ बिल को JPC के पास भेजा गया था। अब वक्फ बिल को 10 मार्च को संसद में पेश किए जाने की उम्मीद है।

JPC ने 13 फरवरी को अपनी रिपोर्ट पेश की थी। इसके चलते विवाद हुआ था। JPC में शामिल विपक्षी सांसदों ने कहा था कि उनके द्वारा बताए गए सुझाव मंजूर नहीं किए गए। उनकी असहमति नोट के कुछ हिस्से गायब कर दिए गए। केंद्र ने आरोपों से इनकार किया है। कहा कि जेपीसी प्रमुख भाजपा के जगदम्बिका पाल के पास समिति पर 'आक्षेप' लगाने वाली धाराओं को हटाने का विवेकाधिकार है। वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और विरोध कर रहे विपक्षी सांसदों के बीच हुई बैठक के बाद फैसला लिया गया कि असहमति के नोटों को उनके मूल (और संपूर्ण) रूप में शामिल किया जाएगा।

वक्फ बिल में क्या हुए बदलाव?

वक्फ परिषदों में चाहे वे राज्य स्तर पर हों या अखिल भारतीय स्तर पर कम से कम दो ऐसे सदस्य होंगे जो इस्लामी धर्म से नहीं हैं। संबंधित राज्य द्वारा नामित अधिकारी यह तय करेंगे कि कोई संपत्ति 'वक्फ' है या नहीं। मूल मसौदे में यह निर्णय जिला कलेक्टर पर छोड़ दिया गया था।

तीसरा बदलाव यह स्थापित करना है कि बक्फ कानून किसी संपत्ति पर तब तक लागू नहीं होगा जब तक कि वह पहले से रजिस्टर्ड न हो। इस बिंदु पर कांग्रेस नेता और जेपीसी सदस्य इमरान मसूद ने विरोध किया था। दरअसल, अनुमान के अनुसार 90% वक्फ संपत्तियां रजिस्टर्ड नहीं हैं।

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वक्फ बिल में क्या कहा गया था?

मसौदा बिल में 44 बदलाव किए गए थे। ये बदलाव केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्डों के नियमों में थे। ये तय करते हैं कि मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों का प्रबंधन कैसे होगा। इन प्रस्तावों में हर वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम (कम से कम दो) और महिला सदस्यों को नामित करना है। इसके साथ ही केंद्रीय वक्फ परिषद में एक केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद और 'राष्ट्रीय ख्याति' वाले चार लोगों को नामित करना शामिल है। विपक्ष के इसका विरोध किया है।

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राज्य द्वारा बताए गए अधिकारी को यह तय करने का निर्देश दिया गया है कि कोई संपत्ति 'वक्फ' है या नहीं। मूल मसौदे में यह निर्णय जिला कलेक्टर पर छोड़ दिया गया था। नए नियमों के तहत वक्फ परिषद भूमि पर दावा नहीं कर सकती थी।