सार
भारत में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी। इसमें वैक्सीनेशन ड्राइव को लेकर कई सुझाव दिए गए थे। इसका जवाब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दिया है। उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस के नेता आपके बेशकीमती सुझाव पर अमल करें, तो अच्छी बात होगी।
नई दिल्ली. भारत में कोरोना संक्रमण की बिगड़ती स्थिति और वैक्सीनेशन को लेकर कांग्रेस लगातार राजनीति कर रही है। राहुल गांधी, सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लगातार सरकार को घेरने में लगे हैं। इसी मामले पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी। इसमें वैक्सीनेशन ड्राइव को लेकर कई सुझाव दिए गए थे। इसका जवाब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दिया है। उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस के नेता आपके बेशकीमती सुझाव पर अमल करें, तो अच्छी बात होगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा ऐसा लगता है कि जिन लोगों ने आपको चिट्ठी लिखी, उन्होंने पूरी जानकारी नहीं दी। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार 11 अप्रैल को ही वैक्सीन के आयात को मंजूरी दे चुकी है, जबकि आपने 18 अप्रैल को यह मांग उठाई। इसके अलावा वैक्सीन निर्माण को लेकर सरकार पहले ही रियायतें देने की घोषणा कर चुकी है।
मनमोहन सिंह ने दिए थे पांच सुझाव
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखकर वैक्सीनेशन ड्राइव में तेजी लाने की बात कही थी। उन्होंने लिखा था कि विदेशी कंपनियों से वैक्सीन मंगवाने के लिए एडवांस ऑर्डर देना चाहिए। मनमोहन सिंह ने पांच सलाह दी थीं-
- अगले 6 महीने के बीच जिस जनसंख्या को वैक्सीन लगानी है, उसके लिए कंपनियों को एडवांस में ऑर्डर दिए जाएं। इससे परेशानी नहीं होगी। साथ ही किस वैक्सीन प्रोड्यूसर्स को कितने डोज के ऑर्डर दिए गए हैं, इसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
- केंद्र सरकार किस राज्य को किस हिसाब से वैक्सीन बांटेगी, इसका भी खुलासा करे। केंद्र विभिन्न राज्यों को 10 प्रतिशत वैक्सीन की डिलीवरी इमरजेंसी के आधार पर कर सकती है।
- फ्रंटलाइन वर्कर्स की आयु सीमा 45 से कम की जाए। इसमें टीचर्स, बस-टैक्सी-थ्री व्हीलर चलाने वाले, नगर पालिका और पंचायत के स्टाफ और वकीलों को फ्रंट लाइन वर्कर्स घोषित किया जाना चाहिए।
- सरकार को वैक्सीन प्रोड्यूसर्स को प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए सहूलियतें और रियायतें देनी चाहिए। इसके लिए कानून में लाइसेंस का नियम फिर से शुरू करना चाहिए। जैसा कि एड्स जैसी बीमारी से लड़ते वक्त किया गया था। जैसा कि इजरायल ने कम्पल्सरी लाइसेंस प्रोविजन लागू किया है।
- चूंकि भारतीय वैक्सीन का प्रोडक्शन पर्याप्त नहीं है, ऐसे में यूरोपियन मेडिकल एजेंसी और USFDA जैसी विश्वसनीय एजेंसियों ने जिन वैक्सीन को अप्रूवल दिया है, उन्हें घरेलू ट्रायल के बिना यहां परमिशन दी जाए।
महामारी में विपक्ष को नहीं करनी चाहिए गंदी राजनीति
अर्थ और शिक्षा विशेषज्ञ पद्मश्री टीवी मोहनदास पाई ने डॉ. हर्षवर्धन के जवाब को सही बताया है। इन्फोसिस के पूर्व डायरेक्टर और मणिपाल ग्लोबल यूनिर्सिटी के मौजूदा चेयरमैन ने ट्वीट कर कहा, महामारी के दौरान विपक्ष को गंदी राजनीति नहीं करनी चाहिए।