सार

सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि विवाद मामले पर सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा के वकील ने एक नक्शा कोर्ट में दिखाया, जिसे मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने फाड़ कर 5 टुकड़े कर दिए। अब नक्शा फाड़ने का मामला बढ़ता जा रहा है। रामजन्मभूमि न्यास के सदस्य रामविलास वेदांती ने कहा कि वह धवन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएंगे।  

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि विवाद मामले पर सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा के वकील ने एक नक्शा कोर्ट में दिखाया, जिसे मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने फाड़ कर 5 टुकड़े कर दिए। अब नक्शा फाड़ने का मामला बढ़ता जा रहा है। रामजन्मभूमि न्यास के सदस्य रामविलास वेदांती ने कहा कि वह धवन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएंगे। उन्होंने कहा कि 85 फीसदी से अधिक मुस्लिम चाहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर बन जाए।

नक्शे में क्या था?

हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने किशोर कुणाल की किताब 'अयोध्या रिविजिटेड' के नक्शे को दूसरे दस्तावेजों के साथ रखकर अपनी बात कह रहे थे। तभी मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने इसपर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि किताब रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है। इतना कहते ही राजीव धवन ने उस नक्शे को फाड़ दिया और उसके पांच टुकड़े कर दिए। 

राम जन्मस्थान से जुड़ा है नक्शा

कोर्ट में पेश किया गया नक्शा राम जन्मभूमि से जुड़ा था। पहला नक्शा 1810 में फ्रांसिस बुकानन ने बनाया था। उस नक्शे और दूसरे दस्तावेजों के आधार पर यह नक्शा किशोर कुणाल ने बनाया। दोनों नक्शे उनकी किताब में हैं। राम जन्मस्थान के दोनों नक्शों को कोर्ट में रखा गया था।


सुनवाई का 40वां दिन

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि वह पिछले 39 दिनों से अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुनवाई कर रही है और मामले में सुनवाई पूरी करने के लिए किसी भी पक्षकार को आज (बुधवार) के बाद अब और समय नहीं दिया जाएगा।

क्या चीफ जस्टिस ने नक्शा फाड़ने के लिए कहा था?
नक्शा फाड़ने के मामले में जब सुप्रीम कोर्ट में चर्चा हुई तो राजीव धवन ने कहा कि उन्होंने नक्शा चीफ जस्टिस के कहने पर फाड़ा। जब हिंदू महासभा के वकील उस पर्चे को दिखा रहे थे तब राजीव धवन ने वह नक्शा छीन लिया और कहा कि वह इसपर जवाब नहीं देंगे। इसपर चीफ जस्टिस ने उनसे कहा कि आप चाहे तो इसे फाड़ दें, तभी राजीव धवन ने नक्शे को फाड़ दिया।

14 अपील की गई हैं
सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर कुल चौदह अपीलों पर सुनवाई हुई, जिसमें आदेश दिया गया था कि अयोध्या में 2.77 एकड़ भूमि को तीन पार्टियों - सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच समान रूप से विभाजित किया जाए।