सार
पश्चिम बंगाल में आ रहे विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत सुलग उठी है। इस समय सभी राजनीति दलों का पूरा ध्यान बंगाल पर टिका है। अगर यहां तृणमूल की वापसी होती है, तो मोदी का कद कम हो जाएगा। अगर भाजपा काबिज होती है, तो निश्चय ही बाकी पार्टियों के लिए खतरे की घंटी होगी। इस बीच समय से पहले सुरक्षाबलों के पहुंचने से तृणमूल का पारा तमतमा गया है।
कोलकाता, पश्चिम बंगाल. आगामी विधानसभा चुनाव (West Bengal Elections 2021) को लेकर यहां सरगर्मियां चरम पर हैं। यहां की कानून व्यवस्था को लेकर भाजपा पहले ही तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी सरकार को घेरते आ रही है। लगातार भाजपा नेताओं पर हो रहे हमले के लिए TMC को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। वहीं, TMC हिंसा के लिए भाजपा को दोषी मान रही है। इन आरोप-प्रत्यारोप के बीच पिछले हफ्ते से यहां केंद्रीय बलों के जवान पहुंचने से TMC नाराज है। बता दें कि भाजपा के लीडर केंद्रीय गृहमंत्रालय और चुनाव आयोग से विधानसभा चुनाव से पहले यहां केंद्रीय बलों की टुकड़ियां भेजने की मांग करते आ रहे थे।
दोनों दल आमने-सामने
समय से पहले बंगाल में केंद्रीय बलों की मौजूदगी को लेकर TMC ने भाजपा की केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि भाजपा के दवाब में आकर यह फैसला लिया गया। TMC ने कहा कि केंद्र सरकार आम लोगों और उनकी पार्टी का डराने-धमकाने का काम कर रही है। वहीं, भाजपा का कहना है कि बंगाल में कानून व्यवस्था की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह फैसला लेना पड़ा।
चुनाव आयोग ने कहा कि यह रूटीन प्रक्रिया है। जनवरी में जब चुनाव आयोग की टीम बंगाल के दौरे पर आई थी, तब विपक्षी दलों ने बंगाल में बढ़ती हिंसा और बिगड़ती कानून व्यवस्था का हवाला देकर केंद्रीय बलों को भेजने की मांग की थी। लोकसभा चुनाव के दौरान यहां 75 कंपनियां तैनात की गई थीं। लेकिन विधानसभा चुनाव में एक हजार से ज्यादा कंपनियां भेजने के संकेत मिले हैं। इनमें सवा सौ कंपनियां इस महीने के आखिर तक बंगाल पहुंच जाएंगी। बता दें कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की रैली में तक हिंसा हो चुकी है।