सार

जी20 समूह का वैश्विक सम्मेलन 8 से 10 सितंबर के बीच नई दिल्ली में होने जा रहा है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर इसका एजेंडा क्या है और इसका कितना कूटनीतिक प्रभाव पड़ेगा।

 

G20 Summit New Delhi. भारत की मेजबानी में दुनिया से सबसे मजबूत वैश्विक समूह जी20 का ग्लोबल सम्मेलन नई दिल्ली में होने वाला है। ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि जी20 क्या है और इसका एजेंडा क्या है। क्या इस सम्मेलन का कोई कूटनीतिक प्रभाव पड़ता है। इन सब सवालों की जानकारी के रहे हैं गिरीश लिंगन्ना...

पीएम मोदी ने जी20 को लेकर क्या कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के समूह यानि जी20 के शिखर सम्मेलन की तैयारी के दौरान कहा दुनिया की वास्तविक चुनौतियों की पहचान जरूरी है। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश के नेता पीएम मोदी का लक्ष्य है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता दी जाए। यह बाद हाल ही में जोहांसबर्ग के ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भी कही गई। तब दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने भारत की दावेदारी का समर्थन किया था।

21वीं सदी की चुनौतियों के कैसे निबटें

पीएम मोदी ने हाल ही में न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में साफ कहा कि 21वीं सदी की वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए 20वीं सदी के दृष्टिकोण से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया के दूसरे देशों जहां आर्थिक स्थितियां खराब हैं, उन्हें कर्ज के बोझ से निकालने का भी प्रयास किया जाना चाहिए।

दिल्ली में जुटेंगे दुनियाभर के दिग्गज नेता

दिल्ली में 8 से 10 सितंबर के बीच होने वाले जी20 समिट के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांस के प्रेसीडेंट मैंक्रो, जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज, सउदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और जापान के फुमियो किशिदा जैसे नेता पहुंचेंगे। इसके अलावा चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग और रूसी विदेश मंत्री लावरोव भी इसमें हिस्सा लेंगे।

जी20 का कूटनीतिक प्रभाव और एजेंडा

ग्रुप ऑफ 20 फोरम औपचारिक संगठन के बजाय अपने सदस्य देशों के बीच खुली बातचीत को बढ़ावा देता है। यह समूह के देशों को अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए कूटनीतिक उपयोग की अनुमति देता है। जी20 सदस्य देशों के आर्थिक हालातों को स्पष्ट तरीके से हल करने पर जोर देता है। साथ ही किसी तरह के बाध्यकारी समझौतों से भी बचाता है। यह अलग-अलग पृष्ठभूमि के नेताओं को एक मंच प्रदान करता है, जहां वे वैश्विक प्राथमिकताएं तय कर सकते हैं।

क्या है जी20 और क्यों इसे बनाया गया

G20 वह वैश्विक मंच है, जिसमें दुनिया की विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। इसमें यूरोपीय संघ के साथ सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले 19 देश शामिल थे। इस समूह में शामिल 19 सदस्य देश संयुक्त रूप से दुनिया की 85 प्रतिशत जीडीपी का प्रतिनिधित्व करते हैं। इंटरनेशनल ट्रेड में इन देशों की 75 प्रतिशत भागीदारी है। 1997-98 के दौरान आई वैश्विक मंदी की चुनौतियों से निबटने के लिए 1999 में इसकी स्थापनी की गई थी। यहां सदस्य देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर बैठकर आर्थिक समस्याओं को दूर करने पर चर्चा करते हैं। धीरे-धीरे इसे दुनिया के प्रमुख आर्थिक सहयोग मंच के रूप में पहचान मिली। 2008 की आर्थिक मंदी के दौरान भी समूह ने देशों को आर्थिक आपदा से बचाने का काम किया।

G20 में कौन से देश शामिल हैं?

G20 का कोई स्थायी सचिवालय नहीं है और इसके अध्यक्ष हर साल बदल जाते हैं। यह देशों के विविध क्षेत्रीय समूहों का प्रतिनिधित्व करता है। समूह के 19 सदस्य देशों को 5 ग्रुप में बांटा गया है और हर ग्रुप में 4 देश शामिल हैं।

  • समूह 1 में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब हैं।
  • समूह 2 में रूस, भारत, तुर्किये, दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।
  • समूह 3 में मेक्सिको, ब्राजील और अर्जेंटीना शामिल हैं।
  • समूह 4 में यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, फ्रांस और इटली हैं।
  • समूह 5 में चीन, जापान इंडोनेशिया और कोरियाई गणराज्य हैं।
  • यूरोपीय संघ 20वां सदस्य है जो क्षेत्रीय समूहों से संबद्ध नहीं है।

G20 शिखर सम्मेलन क्या है?

यह समूह वार्षिक तौर पर समिट का आयोजन करता है। जिसे वित्तीय बाजारों और विश्व अर्थव्यवस्था पर शिखर सम्मेलन के रूप में जाना जाता है। इस समिट में सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष, वित्तमंत्री विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं। यह नेताओं की एकता जैसे सामूहिक लक्ष्य को पाने का मंच है। इस समिट के बाद एक सामूहिक स्टेटमेंट जारी किया जाता है। इसमें व्यक्तिगत मीटिंग, द्विपक्षीय वार्ताएं और सामूहिक कार्रवाई जैसे सत्र भी रहते हैं।

क्या जी20 का सामूहिक थीम

भारत की मेजबानी में इस वर्ष जी20 का सामूहिक थीम वसुधैव कुटुंबकम है, यह संस्कृत का श्लोक पूरी पृथ्वी को एक परिवार की तरह दर्शाने वाला है। यही भारत का भी प्रयास है कि एक विश्व, एक परिवार के आधार पर देशों की समस्याओं का समाधान किया जाए। नई दिल्ली के नवनिर्मित भारत मंडपम में 9 और 10 सितंबर को यह समिट आयोजित किया जा रहा है।

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