सार
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इस बीच किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद बुलाया है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों के किसान संगठनों की बैठक में इस बात पर सहमति बनी है। ऐसे में बताते हैं कि आखिर 8 दिसंबर को ही भारत बंद क्यों बुलाया गया और इससे किन-किन राज्यों में असर पड़ेगा?
नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इस बीच किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद बुलाया है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों के किसान संगठनों की बैठक में इस बात पर सहमति बनी है। ऐसे में बताते हैं कि आखिर 8 दिसंबर को ही भारत बंद क्यों बुलाया गया और इससे किन-किन राज्यों में असर पड़ेगा?
भारत बंद की जरूरत क्यों पड़ी?
कृषि से जुड़े तीन कानूनों के खिलाफ किसान 10 दिन से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान किसान और सरकार के बीच 5 दौर की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन आंदोलन खत्म नहीं हुआ। सरकार थोड़ा नरम रुख अपना रही है, लेकिन किसानों की मांग है कि तीनों कानून वापस लिए जाए। इसी वजह से किसानों ने भारत बंद बुलाया है।
भारत बंद किसने बुलाया है?
भारत बंद ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमिटी ने बुलाया है। इस संस्था के तहत देशभर के 400 से ज्यादा किसान संगठन आते हैं। किसानों का साफ संदेश है कि किसान आंदोलन दिन ब दिन तेज होता जाएगा। तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल जैसी पार्टियों ने खुलकर आंदोलन का समर्थन किया है तो बाकी विपक्षी दल भी सरकार को घेरे हुए हैं। कुछ राजनीतिक दल भारत बंद को भी अपना समर्थन दे सकते हैं।
भारत बंद का असर कहां-कहां होगा?
भारत बंद के दौरान देशभर में चक्काजाम की तैयारी है। रेल सेवाओं को भी प्रभावित करने की कोशिश की जाएगी। जिन इलाकों में कृषि ज्यादा होती है वहां पर व्यापक असर दिखेगा। बाजार से लेकर सामान्य जनजीवन पर बुरा असर पड़ेगा। सड़के जाम होने से फूड और सब्जियों की सप्लाई पर असर पड़ेगा।
3 कानून कौन से हैं, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं
1- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 (The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020)
अभी क्या व्यवस्था- किसानों के पास फसल बेचने के ज्यादा विकल्प नहीं है। किसानों को एपीएमसी यानी कृषि उपज विपणन समितियों में फसल बेचनी होती है। इसके लिए जरूरी है कि फसल रजिस्टर्ड लाइसेंसी या राज्य सरकार को ही फसल बेच सकते हैं। दूसरे राज्यों में या ई-ट्रेडिंग में फसल नहीं बेच सकते हैं।
नए कानून से क्या फायदा-
1- नए कानून में किसानों को फसल बेचने में सहूलियत मिलेगी। वह कहीं पर भी अपना अनाज बेच सकेंगे।
2- राज्यों के एपीएमसी के दायरे से बाहर भी अनाज बेच सकेंगे।
3- इलेक्ट्रॉनिग ट्रेडिंग से भी फसल बेच सकेंगे।
4- किसानों की मार्केटिंग लागत बचेगी।
5- जिन राज्यों में अच्छी कीमत मिल रही है वहां भी किसाने फसल बेच सकते हैं।
6- जिन राज्यों में अनाज की कमी है वहां भी किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिल जाएगी।
2- किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill 2020)
अभी क्या व्यवस्था है- यह कानून किसानों की कमाई पर केंद्रित है। अभी किसानों की कमाई मानसून और बाजार पर निर्भर है। इसमें रिस्क बहुत ज्यादा है। उन्हें मेहनत के हिसाब से रिटर्न नहीं मिलता।
नए कानून से क्या फायदा-
1- नए कानून में किसान एग्री बिजनेस करने वाली कंपनियों, प्रोसेसर्स, होलसेलर्स, एक्सपोर्टर्स और बड़े रिटेलर्स से एग्रीमेंट कर आपस में तय कीमत में फसल बेच सकेंगे।
2- किसानों की मार्केटिंग की लागत बचेगी।
3- दलाल खत्म हो जाएंगे।
4- किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा।
5- लिखित एग्रीमेंट में सप्लाई, ग्रेड, कीमत से संबंधित नियम और शर्तें होंगी।
6- अगर फसल की कीमत कम होती है, तो भी एग्रीमेंट के तहत किसानों को गारंटेड कीमत मिलेगी।
3- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 (The Essential Commodities (Amendment) Bill
अभी क्या व्यवस्था है- अभी कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट में निवेश कम होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता। अच्छी फसल होने पर किसानों को नुकसान ही होता है। फसल जल्दी सड़ने लगती है।
नए कानून से क्या फायदा-
1- नई व्यवस्था में कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई से मदद मिलेगी जो कीमतों की स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
2- स्टॉक लिमिट तभी लागू होगी, जब सब्जियों की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी।
3- अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया है।
4- युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कीमतों में असाधारण वृद्धि और अन्य परिस्थितियों में केंद्र सरकार नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।