सार

भारत की 'वेदर वुमन' कहलाने वाली अन्ना मणि की आज 104वीं बर्थ एनिवर्सरी है। 23 अगस्‍त, 1918 को केरल के त्रावणकोर में एक क्रिश्चियन परिवार में पैदा हुईं अन्ना मणि को गूगल ने डूडल बनाकर सलाम किया है। अन्ना मणि को मौसम विज्ञान के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए जाना जाता है। 

Who is Anna Mani: भारत की 'वेदर वुमन' कहलाने वाली अन्ना मणि की आज 104वीं बर्थ एनिवर्सरी है। 23 अगस्‍त, 1918 को केरल के त्रावणकोर में एक क्रिश्चियन परिवार में पैदा हुईं अन्ना मणि को गूगल ने डूडल बनाकर सलाम किया है। अन्ना मणि नोबेल अवॉर्ड विनर सीवी रमन की स्‍टूडेंट रही हैं। अन्ना मणि को इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस ने जब पीएचडी देने से मना कर दिया तो उन्होंने इसे एक चुनौती की तरह लिया। इसके बाद वो लंदन चली गईं और वहां के इम्‍पीरियल कॉलेज से मीटरोलॉजिकल इंस्‍ट्रूमेंट्स यानी मौसम जानकारी देने वाले उपकरणों की एक्‍सपर्ट बनकर लौटीं। 1948 में वो भारत के मौसम विज्ञान विभाग (IMD) में काम करने लगीं। 

पीएचडी देने से किया मना तो अन्ना ने लिया चैलेंज : 
अन्‍ना मणि के पिता सिविल इंजिनियर होने के साथ ही इलायची के बड़े बागानों के मालिक थे। अन्ना की फैमिली चाहती थी कि वो शादी करके सेटल हो जाएं, लेकिन बचपन से ही उनकी रुचि साइंस में थी। उन्होंने मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज से BSc ऑनर्स की डिग्री ली। इसके बाद इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंसेज गईं, जहां प्रोफेसर सीवी रमन के गाइडेंस में पढ़ाई की। चूंकि अन्ना मणि के पास उस वक्त मास्‍टर डिग्री नहीं थी, इसलिए IISc ने उन्हें पीएचडी देने से मना कर दिया। 

रिसर्च पेपर की बदौलत लंदन से की पढ़ाई : 
हालांकि, अपने रिसर्च पेपर की बदौलत अन्‍ना को इंग्‍लैंड में इंटर्नशिप के लिए स्‍कॉलरशिप मिल गई। 1945 में वो लंदन चली गईं और वहां के इम्‍पीरियल कॉलेज में मीटरोलॉजिकल इंस्‍ट्रमेंटेशन के फील्‍ड की पढ़ाई शुरू कर दी। इसके बाद जब 3 साल बाद वो भारत लौटीं तो 1948 में उन्होंने यहां के मौसम विज्ञान विभाग में काम करना शुरू किया। यहं उन्‍होंने मौसम विज्ञान से जुड़े 100 से ज्‍यादा इंस्ट्रूमेंट्स की डिजाइन तैयार की। अन्‍ना मणि के मार्गदर्शन में मौसम विभाग ने वेदर इंस्‍ट्रूमेंट्स बनाने शुरू किए। 

पूरी जिंदगी साइंस को समर्पित कर दी, कभी शादी नहीं की : 
1976 में वो मौसम विज्ञान विभाग के डिप्टी डायरेक्‍टर पद से रिटायर हुईं। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु में 3 साल तक रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट में पढ़ाया। 1987 में मणि को INSA केआर रामनाथन मेडल से सम्मानित किया गया। अन्ना मणि ने अपनी जिंदगी में साइंस के अलावा किसी को आने नहीं दिया। उन्‍होंने ताउम्र शादी नहीं की। 1996 में उन्हें स्ट्रोक आया, जिसके बाद वो पब्लिक लाइफ से दूर हो गईं। 16 अगस्‍त, 2001 को 82 साल की उम्र में तिरुवनंतपुरम में उनका निधन हो गया। 

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