सार
90 के दशक तक मलेरिया से जूझते भारत में अब इसके प्रति काफी सजगता आई है। राज्य सरकारें विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये इस मच्छर जनित बीमारी की रोकथाम कर रही हैं। केंद्र सरकार भी ऐसे राज्यों को प्रोत्साहित कर रही है। देखें, राज्यों ने मलेरिया से लड़ने क्या रणनीति बनाई है।
नई दिल्ली। विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day 2022) हर साल 25 अप्रैल को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मलेरिया को मिटाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित करना है। सोच है कि बीमारी के कारण होने वाली परेशानी और मौतों की दर को कम किया जा सके। WHO के सदस्य राज्यों ने 2007 में विश्व स्वास्थ्य सभा के दौरान विश्व मलेरिया दिवस की स्थापना की। दरअसल, मलेरिया एक रोके जाने वाली और उपचार योग्य बीमारी है। इसके बाद भी इस बीमारी का प्रभाव पूरी दुनिया में रहा है। 2020 में मलेरिया के अनुमानित 241 मिलियन नए मामले सामने आए, जबकि 85 देशों में 6,27,000 मौतें मलेरिया से हुईं। इसमें से दो तिहाई से अधिक मौतें अफ्रीकी क्षेत्र में रहने वाले 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की हुईं।
इस बार विश्व मलेरिया दिवस 2022 की थीम...
हार्नेस इनोवेशन टु रिड्यूस द मलेरिया डिजीजी बर्डन एंड सेव लाइफ (Harness innovation to reduce the malaria disease burden and save lives) है। मलेरिया भारत में भी एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या रही है। देश में लगभग 95% जनसंख्या मलेरिया स्थानिक क्षेत्रों में निवास करती है। देश में रिपोर्ट किए गए मलेरिया का 80% हिस्सा जनजातीय, पहाड़ी, दुर्गम और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाली 20% आबादी वाले क्षेत्रों तक ही सीमित है।
2002 के बाद से मलेरिया के मामले लगातार गिरे
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आंकड़ों के अनुसार, देश में 90 के दशक के अंत में सालाना 2 मिलियन से मलेरिया के मामले होते थे। 2002 के बाद से इनमें जबरदस्त गिरावट आई है। 2020 में इसके मामले घटकर 0.12 मिलियन सालाना हो गए हैं। इसी तरह, मौतों की संख्या 1995 में सालाना 1,151 से घटकर 2020 में केवल 93 रह गई है।
मलेरिया खत्म करने के लिए राज्यों द्वारा की गईं महत्वपूर्ण पहल
ओडिशा : ओडिशा सरकार ने दमन अभियन शुरू किया था। 2017 में शुरू हुए इस अभियान के तहत या दूरदराज के स्थानों में मलेरिया को नियंत्रित करने का किया जा रहा है। इसके जरिये दूरस्थ और दुर्गम स्थानों पर अप्रैल से जून में और सितंबर से अक्टूबर के बीच 'मलेरिया शिविरों' में साल में दो बार सामूहिक स्क्रीनिंग की जाती है। इस जांच में वह लोग भी शामिल किए जाते हैं, जिन्हें कोई समस्या या लक्षण नहीं हैं। यही नहीं, इस मुहिम के तहत विशेष स्प्रे विधि का उपयोग किया जाता है, जिसमें एक अवशिष्ट कीटनाशक को घरों की भीतरी दीवारों और छतों पर लगाया जाता है, ताकि मलेरिया फैलाने वाले मच्छर कीटनाशक के संपर्क में आ जाएं।
उत्तर प्रदेश : यूपी सरकार का 'दस्तक अभियान' मलेरिया से लड़ाई के लिए चालू है। इसके तहत 2030 तक मलेरिया मुक्त बनने का लक्ष्य रखा गया है। यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने हाल ही में कहा था कि सरकार राज्य में इस तरह के रोगों को खत्म करने और 2030 तक इसे मलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में काम कर रही है।
दस्तक अभियान में आशा और आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को जल जनित और मच्छर जनित विभिन्न बीमारियों से लोगों को अवगत कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
तेलंगाना : राज्य को 2015 और 2021 के बीच पिछले छह सालों में मलेरिया खत्म करने के अपने प्रयासों के लिए राष्ट्रीय मान्यता और सराहना मिली है। पिछले 6 वर्षों में राज्य भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं, नगर पालिकाओं और पंचायत विभाग को शामिल करते हुए अंतर-क्षेत्रीय सहयोग से राज्य में मलेरिया के मामलों की संख्या में गिरावट आई है।
छत्तीसगढ़ : दक्षिण छत्तीसगढ़ के जिलों में माओवादी खतरे के अलावा राज्य में मलेरिया भी एक सबसे बड़े मुद्दों में से एक था। इससे निपटने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने जनवरी 2020 में 'मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान' शुरू किया। हालांकि, बस्तर में अभियान की सफलता के बाद, सरकार ने इस कार्यक्रम को राज्य के बाकी हिस्सों में बढ़ा दिया।
इस वर्ष, छत्तीसगढ़ को मलेरिया से लड़ने में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा प्रदान किए जाने वाले राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है।
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आंध्र प्रदेश : आंध्र प्रदेश ने मलेरिया पर अंकुश लगाने के लिए फ्राइडे-ड्रइडे नाम पहल शुरू की है। इस मुहिम के तहत राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने पंचायत राज, ग्रामीण जल आपूर्ति और नगर प्रशासन विभागों के साथ ग्राम और वार्ड सचिवालय स्तर पर फ्राइडे- ड्राई डे जैसे कार्यक्रमों को लागू कराया। यह राज्य में मलेरिया के मामलों की संख्या को कम करने में सहायक था। इस अभियान के तहत प्रत्येक शुक्रवार को ड्राई-डे के तहत सभी को अपने घरों की साफ-सफाई करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसी का नतीजा है कि इस साल अब तक राज्य में मलेरिया के केवल 117 मामले सामने आए हैं।
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