सार

भारत में 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए शुरू हो रहे कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर दिक्कतें सामने आई हैं। वैक्सीन के पर्याप्त डोज नहीं होने या सप्लाई में देरी होने से कई राज्य 2-3 दिन बाद वैक्सीनेशन शुरू करेंगे। दुनियाभर में वैक्सीनेशन के मामले में भारत की स्थिति अभी काफी पीछे है। इसकी एक वजह यहां जनसंख्या अधिक होना है। वैक्सीनेशन के मामले में इजरायल टॉप पर है। जबकि भारत बांग्लादेश से सिर्फ एक कदम आगे है।  

नई दिल्ली. भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने हाहाकार मचा रखा है। इससे निपटने वैक्सीनेशन को स्पीड देने के प्रयास हो रहे हैं। लेकिन भारत में 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए शुरू हो रहे कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर दिक्कतें सामने आई हैं। वैक्सीन के पर्याप्त डोज नहीं होने या सप्लाई में देरी होने से कई राज्य 2-3 दिन बाद वैक्सीनेशन शुरू करेंगे। दुनियाभर में वैक्सीनेशन के मामले में भारत की स्थिति अभी काफी पीछे है। इसकी एक वजह यहां जनसंख्या अधिक होना है। वैक्सीनेशन के मामले में इजरायल टॉप पर है। जबकि भारत बांग्लादेश से भी पीछे है। महाराष्ट्र मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखंड, ओडिशा आदि राज्यों में वैक्सीन की सप्लाई नहीं होने से वैक्सीनेशन अभियान को आगे बढ़ा दिया गया है।

इजरायल में सबसे अधिक वैक्सीनेशन
संक्रमण के लिहाज से भारत दुनिया का दूसरा सबसे संक्रमित देश बना हुआ है, लेकिन मौतों के लिहाज से यह तीसरे नंबर पर है। अब तक दुनिया में 150M केस आ चुके हैं। इनमें से 87.2M रिकवर हो चुके हैं, जबकि 3.16M की मौत हो चुकी है। अगर वैक्सीनेशन की बात करें इजरायल इस मामले में टॉप पर है। इसके बाद नंबर यूएई का आता है। अमेरिका जैसा देश भी इस लिस्ट में चौथे क्रम पर है। भारत में अभी 1.8% ही वैक्सीनेशन हो सका है। जबकि बांग्लादेश में 1.7% वैक्सीनेशन हो सका है।

गरीब देशों के लिए संकट की घड़ी

  • भारत को 1 मई से शुरू हो वैक्सीनेशन पर यानी 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को डोज देने के लिए 67,193 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। इसमें राज्यों पर 46,323 करोड़ रुपये का भार आएगा। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने गुरुवार को यह जानकारी दी थी। इजरायल ने वैक्सीनेशन के लिए 788 मिलियन डॉलर यानी करीब 5 हजार 910 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया है। जबकि ब्रिटेन ने इस पर अभी तक 1 लाख 20 हजार करोड़ खर्च किया है। वैक्सीनेशन के मामले में अमीर देश तेजी से काम कर रहे हैं, लेकिन सबसे अधिक चिंता गरीब देशों की है। दुनिया में 92 गरीब देशों को अगर समय पर मदद नहीं मिली, तो वो 2023 तक अपनी 60% आबादी भी वैक्सीनेट नहीं कर पाएंगे। ड्यूक यूनिवर्सिटी के ग्लोबल हेल्‍थ सेंटर की एक स्टडी के मुताबिक, अमीर देशों ने वैक्सीन सप्लाई का 53% अपने कब्जे में ले लिया है। सोमालिया, नॉर्थ कोरिया, यमन, लाइबेरिया और हैती के पास तो वैक्सीन ही नहीं है। जबकि सुडान, माली, अफगानिस्तान, मुजैंबिक और तजाकिस्तान सिर्फ 1% आबादी को ही वैक्सीन दे सके हैं। अगर पूरी दुनिया की बात करें, तो सिर्फ 3.3% लोगों को ही फुल वैक्सीन मिल सकी है।

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