सार
भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे और गुजरात के दो बार मुख्यमंत्री बने केशु भाई पटेल का गुरुवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। अस्पताल की ओर से कहा गया है कि उनकी मौत कोरोना के चलते नहीं हुई, उन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
गांधीनगर, गुजरात. भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे और गुजरात के दो बार मुख्यमंत्री बने केशु भाई पटेल का गुरुवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। अस्पताल की ओर से कहा गया है कि उनकी मौत कोरोना के चलते नहीं हुई, उन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जबकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि उन्हें कोरोना संक्रमित होने के बाद भर्ती कराया गया था।
केशु भाई लंबे समय से प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे थे। कुछ समय पहले ही उनकी बायपास सर्जरी भी हुई थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा में खासा दखल रखने वाले केशु भाई गांधीनगर में सरकारी बंगले में रहते थे। केशु भाई का जन्म जूनागढ़ जिले के विसावदार कस्बे में हुआ था। वे 1945 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे। इसके बाद 60 के दशक में जनसंघ के साथ वे राजनीति में उतरे। केशु भाई जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।
पीएम मोदी ने कहा- उनका जाना मेरे लिए पिता तुल्य के जाने के बराबर
पीएम मोदी ने कहा, आज देश का गुजरात की धरती का महान सपूत हम सबसे बहुत दूर चला गया है। हम सबके प्रिय केशुभाई पटेल जी उनके निधन के समाचार। मैं कल्पना ही नहीं कर सकता हूं। मैं बहुत दुखी हूं, स्तब्ध हूं। उनका निधन मेरे लिए पिता तुल्य के जाने के बराबर है। उनका निधन मेरे लिए ऐसी छति है जो कभी पूरी नहीं हो पाएगी। आज भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता मेरी तरह ही दुखी है।
पीएम मोदी ने कहा, हमारे प्यारे और सम्मानित केशुभाई का निधन हो गया है। मैं बहुत दुखी हूं। वे एक उत्कृष्ट नेता थे जिन्होंने समाज के हर वर्ग की देखभाल की। उनका जीवन गुजरात की प्रगति और हर गुजराती के सशक्तीकरण के लिए समर्पित था।
उन्होंने कहा, केशुभाई ने जनसंघ और भाजपा को मजबूत करने के लिए पूरे गुजरात की यात्रा की। उन्होंने आपातकाल का जमकर विरोध किया। किसान कल्याण के मुद्दे उनके दिल के सबसे करीब थे। विधायक, सांसद, मंत्री या सीएम रहते उन्होंने किसान हितैषी कदम उठाए।
पीएम मोदी के राजनीतिक गुरु थे केशुभाई
पीएम मोदी केशुभाई पटेल को राजनीतिक गुरु मानते थे। हालांकि, 2001 में नरेंद्र मोदी उनकी जगह ही मुख्यमंत्री बने थे। केशुभाई तख्तापलट के चलते दो बार मुख्यमंत्री पद पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। प्रधानमंत्री बनने पर पीएम मोदी ने कहा भी था कि सूबे की असल कमान केशुभाई के हाथ में ही है। वे भाजपा का रथ हांकने वाले सारथी हैं।
2014 में राजनीति से संन्यास की घोषणा की थी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबियों में शामिल केशुभाई को गुरुवार सुबह सांस लेने में तकलीफ हुई थी। उन्होंने 2014 में राजनीति से सन्यास की घोषणा की थी।
तीन साल में परिवार मातम का दौर
केशुभाई की पत्नी लीलाबेन की 2006 में गांधीनगर स्थित घर में शॉर्ट सर्किट से लगी आग में मौत हो गई थी। इनके 5 बेटे और एक बेटी हैं। इसमें से 2017 में बेटे प्रवीण का निधन हो गया था। दूसरे बेटे की 2019 में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। जबकि एक बेटा संन्यासी बन चुका है।
(यह तस्वीर 1995 के विधानसभा चुनाव की है)
डॉन भी केशुभाई से डरता था
एक समय ऐसा था जब अहमदाबाद के कुख्यात डॉन लतीफ के एरिया पोपटीयावाड मोहल्ले में पुलिस घुसने से डरती थी। बीजेपी ने 1995 के चुनाव में इसे ही चुनावी मुद्दा बनाया। उन्होंने डॉन के एरिया में बड़ी सभा की। वहीं जीत भी हासिल की।