सार
बजट में किसानों, महिला और युवाओं के लिए नई योजनाएं देखने को मिल सकती हैं। इस बजट में जनता के लिए भी काफी कुछ खास हो सकता है। कहा जा रहा है कि बजट में आवारा मवेशियों पर भी विधेयक पास हो सकता है। वहीं सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष ने भी सरकार को घेरने का प्लान बनाया है। सदन में पक्ष-विपक्ष में तकरार देखने को मिल सकती है।
गांधीनगर : गुजरात विधानसभा के बजट सत्र का आज से आगाज होने जा रहा है। 31 मार्च तक चलने वाले इस सत्र में तीन मार्च को राज्य का बजट पेश किया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल (Bhupendrabhai Patel) और वित्त मंत्री कनुभाई देसाई (Kanubhai Desai) का यह पहला बजट है। पिछले साल सितंबर में विजय रूपाणी के इस्तीफे के बाद भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया था। बजट में किसानों, महिला और युवाओं के लिए नई योजनाएं देखने को मिल सकती हैं। इस बजट में जनता के लिए भी काफी कुछ खास हो सकता है। कहा जा रहा है कि बजट में आवारा मवेशियों पर भी विधेयक पास हो सकता है। वहीं सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष ने भी सरकार को घेरने का प्लान बनाया है। सदन में पक्ष-विपक्ष में तकरार देखने को मिल सकती है।
मुद्दे जिन पर हो सकती है चर्चा
जानकारी मिल रही है कि कोरोना महामारी का राज्य सरकार के बजट पर प्रभाव पड़ा है। चुनावी साल के दौरान सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के लिए अतिरिक्त धन का निवेश करने की उम्मीद है। सत्र में कोरोना से हुई मौते, सरकारी भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और महिलाओं और किसानों के खिलाफ अपराधों के बारे में चर्चा और बहस होने की संभावना है। सरकार इस विधानसभा बजट सत्र के दौरान ड्रोन प्रौद्योगिकी नीति भी जारी कर सकती है, क्योंकि ड्रोन प्रौद्योगिकी की मांग दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है।
दो-दो हाथ करने विपक्ष तैयार
बजट सत्र की शुरुआत में दिवंगतों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष ने भी कमर कस ली है। किसान, शिक्षा, रोजगारी, कानून-व्यवस्था और कोरोना समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्ष सरकार को घेर सकती है। पहले ही कांग्रेस की मांग के बाद सियासी घमासान मचा हुआ है। दरअसल, कांग्रेस की मांग है कि सरकार को बजट का लाइव कवरेज कराना चाहिए। ताकि इसकी पारदर्शिता बनी रहे। कांग्रेस का कहना है कि जब राजस्थान और केरल सरकार अपने बजट का लाइव कवरेज करा सकती है, तो गुजरात सरकार क्यों नहीं? कांग्रेस का कहना है किअगर प्राइवेट न्यूज चैनलों को सरकार सदन में मंजूरी नहीं देना चाहती तो राज्यपाल के भाषण के समय मीडिया कवरेज की इजाजत क्यों रहती है? इतना ही नहीं सालाना बजट की भी मीडिया कवरेज की जाती है?
बीजेपी का पलटवार
वहीं, कांग्रेस की इस मांग पर बीजेपी का पलटवार भी आया है। शिक्षा मंत्री और सरकार के प्रवक्ता जीतू वघानी ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने विपक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए डिस्कसन के लिए ज्यादा समय दे दिया है। शनिवार को छुट्टी वाले दिन विधानसभा कार्यवाही की मीडिया कवरेज की मांग करना सिर्फ राजनीतिक स्टंट है क्योंकि, उस दिन सभी विधायक अपनी-अपनी विधानसभाओं में रहते हैं।
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