सार
डीजीपी संजय कुंडू और मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने कई बार आंदोलनकारियों से बात कर उन्हें मनाने का प्रयास किया। जब बात नहीं बनी तो मुख्यमंत्री के आदेश पर वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, सुरेश भारद्वाज, सुखराम चौधरी, राकेश पठानिया और कई अन्य विधायक प्रदर्शनकारियों को समझाने पहुंचे। आखिर में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करीब साढ़े तीन बजे खुद प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे और 3 महीने के भीतर आयोग के गठन का ऐलान कर दिया
धर्मशाला : हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के धर्मशाला (Dharamshala) के तपोवन में सवर्ण आयोग की मांग कर रहे हजारों प्रदर्शनकारियों ने विधानसभा का घेराव कर उग्र प्रदर्शन किया। शुक्रवार को शुरू हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन तपोवन आक्रोश की आग साफ देखने को मिली। प्रदर्शनकारियों ने वहां लगे बैरिकेड तोड़ दिए और पुलिस पर भी पथराव किया। इस दौरान कई लोग घायल हो गए, जिनमें कुछ पत्रकार और पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। करीब तीन घंटे चले इस प्रदर्शन के बाद आखिरकार जयराम सरकार प्रदर्शनकारियों के सामने झुक गई और सामान्य वर्ग आयोग के गठन की अधिसूचना जारी कर दी।
धरे के धरे रह गए पुलिस के बंदोबस्त
प्रदर्शनकारियों को रोकने पुलिस ने जो भी बंदोबस्त किए, वो धरे के धरे रह गए। हजारों प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़कर विधानसभा की ओर कूच कर दिया। इसकी सूचना मिलते ही सभी गेट बंद कर दिए गए। परिसर के चारों ओर पुलिस के जवान तैनात कर दिए गए। मुख्य गेट के बाहर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच नोकझोंक भी हुई। उग्र प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। बाद में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Jai Ram Thakur) के आयोग के गठन का ऐलान करने के बाद आंदोलनकारी शांत हुए। इसके चंद घंटों के बाद ही सामान्य प्रशासन विभाग ने सामान्य वर्ग आयोग के गठन की अधिसूचना जारी कर दी।
गंगाजल छिड़ककर प्रदर्शन खत्म
प्रदर्शन के दौरान डीजीपी संजय कुंडू और मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने कई बार आंदोलनकारियों से बात कर उन्हें मनाने का प्रयास किया। जब बात नहीं बनी तो मुख्यमंत्री के आदेश पर वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, सुरेश भारद्वाज, सुखराम चौधरी, राकेश पठानिया और कई अन्य विधायक प्रदर्शनकारियों को समझाने पहुंचे। आखिर में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करीब साढ़े तीन बजे खुद प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे और 3 महीने के भीतर आयोग के गठन का ऐलान कर दिया, लेकिन प्रदर्शन कर रहे लोगों ने लिखित में आश्वासन मिलने तक प्रदर्शन जारी रखने पर अड़े रहे। आखिरकार मुख्यमंत्री को सदन के भीतर इसका ऐलान करना पड़ा, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने मंत्रोच्चारण और गंगाजल छिड़ककर प्रदर्शन को खत्म किया।
पहले दिन घिरी जयराम सरकार
धर्मशाला में अपना अंतिम शीत सत्र आयोजित कर रही जयराम सरकार पहले ही दिन सड़क से लेकर सदन तक में घिरती दिखी। उपचुनाव में मिली हार के बाद वैसे तो सरकार मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस (congress) के विधानसभा के भीतर आक्रामक रहने का अंदाजा लगाए बैठी थी, लेकिन माकपा विधायक की मदद से विपक्ष ने पहले ही दिन अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सरकार को घेरने का नया पैंतरा चल दिया। हालांकि, संख्या बल में कमी की तकनीकी खामी को नियमों की ढाल के जरिए पकड़कर सरकार ने अपना बचाव जरूर कर लिया, लेकिन इधर नाराज प्रदर्शनकारियों ने सरकार के सामने असमंजस खड़ा कर दिया। हालात इतने खराब हो गए कि सरकार को प्रदर्शनकारियों के आगे झुकना पड़ा और उनकी मांग के अनुसार लिखित में ऐलान भी करना पड़ा।
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