- Home
- States
- Other State News
- मेरा फर्ज है कि अपने देश के कुछ काम आ सकूं, जब दुर्घटना से ईश्वर ने बचाया, तो कोरोना क्या कर लेगा
मेरा फर्ज है कि अपने देश के कुछ काम आ सकूं, जब दुर्घटना से ईश्वर ने बचाया, तो कोरोना क्या कर लेगा
वडोदरा, गुजरात. मुसीबतों के समय ही इंसान की असली पहचान होती है। इन दिनों सारी दुनिया कोरोना संक्रमण से जूझ रही है। अगर सिर्फ भारत की बात करें, तो इस संकट के खिलाफ सारा देश एक साथ खड़ा हो गया है। जिनसे जो बन रहा, वो मदद कर रहे। ये कहानियां ऐसे लोगों की हैं, जो सरकारी सेवा में रहकर अपनी ड्यूटी जी-जान से निभा रहे हैं। ये वो लोग भी हैं, जिन्होंने अपनी जमापूंजी लोगों की मदद के लिए सरकार को दान कर दी। यह हैं ज्योतिबेन पारीख। ये रावपुरा पुलिस थाने में पदस्थ हैं। पिछले दिनों एक दुर्घटना में ये घायल हो गई थीं। बावजूद इन्होंने ड्यूटी ज्वाइन की।
| Published : Apr 14 2020, 09:47 AM IST / Updated: Apr 14 2020, 09:51 AM IST
मेरा फर्ज है कि अपने देश के कुछ काम आ सकूं, जब दुर्घटना से ईश्वर ने बचाया, तो कोरोना क्या कर लेगा
Share this Photo Gallery
- FB
- TW
- Linkdin
15
ज्योतिबेन ने कहा कि ऐसे समय में अगर वे ड्यूटी नहीं करेंगी, तो उनका क्या फायदा? ज्योतिबेन की पुलिस कमिश्नर संदीप चौधरी ने प्रशंसा करते हुए कहा कि देया को ऐसी ही सशक्त महिलाओं की जरूरत है।
25
यह हैं कोलकाता के 82 वर्षीय सुभाष चंद्र बनर्जी। कुछ दिन पहले इन्होंने अपनी बालकनी से इशारा करके वहां से निकल रहे पुलिसवालों को बुलाया। पुलिसवालों ने सोचा कि बुजुर्ग किसी मुसीबत में होंगे। वे फौरन उनके घर पहुंचे। बुजुर्ग ने पुलिसवालों को कांपते हाथों से 10 हजार रुपए का चेक सौंपते हुए कहा कि यह राशि मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए है। यह देखकर पुलिसवाले भावुक हो उठे। सुभाष चंद्र रिटायर्ड प्रोफेसर हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के पीड़ितों के लिए वे भी कुछ करना चाहते थे।
35
यह कहानी उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल की है। डॉ. अंकिता अग्रवाल टिहरी जिले के प्रतापनगर ब्लॉक स्थित लंबगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र(CHC) में पदस्थ हैं। डॉ. अंकिता 31 मार्च तक मैटरनिटी लीव पर थीं। लेकिन जैसे ही कोरोना संक्रमण को लेकर देश में आपाताकालीन स्थितियां बनीं..अंकिता ने अपनी बकाया छुट्टियां कैंसल कीं और 15 मार्च को ही ड्यूटी पर लौट आईं। वे बच्चे को अपनी मां यानी उसकी नानी के पास छोड़कर ड्यूटी पर निकलती हैं। बच्चा अकसर मां को बाहर जाते देखकर मचलता है। इस पर मां की आंखें नम हो जाती हैं, लेकिन वे उसे प्यार से चूमकर ड्यूटी पर निकल जाती हैं। डॉ. अंकिता डेंटिस्ट हैं।
45
यह कहानी हिमाचल प्रदेश के सिरमौर की है। यह हैं कांस्टेबल अर्जुन। वे और उनकी पत्नी सुमन दोनों पुलिस विभाग में हैं। पिछले दिनों उनकी ड्यूटी कोरोना पॉजिटिव मिले एक जमाती को बद्दी तक छोड़कर आने की थी। जब अर्जुन बद्दी के लिए निकले, तभी घर से कॉल आया था। उनकी पत्नी गर्भवती थीं। उन्हें बताया गया कि अर्जुन के बच्चे की धड़कन कम होने से बचाया नहीं जा सका। अर्जुन फिर भी अपनी ड्यूटी करते रहे। अगले दिन घर आए और बच्चे को मिट्टी देकर फिर ड्यूटी पर लौट गए।
55
यह कहानी गुजरात के राजकोट की है। यह हैं गोंडल-राजकोट नेशनल हाईवे पर शॉपर-वेराल औद्योगिक क्षेत्र की पुलिस चौकी के पीएसआई एन वी हरियाणी। पिछले दिनों इनकी नानी देवकुंवर बा गोविंद राम जी दूधरेजिया का निधन हो गया। वे 102 साल की थीं। ड्यूटी के चलते हरियाणवी अपनी नानी का आखिरी बार चेहरा भी नहीं देख सके। उन्होंने कहा कि जब ड्यूटी पूरी होगी, वे नानी की समाधि पर जाकर माफी मांग लेंगे।(अपनी नानी के साथ PSI)