सार

अपने 34 साल के बेटे को खोने के सदमे में एक मां खुद भी दुनिया से चल बसी। उसका बेटा सियाचिन ग्लेशियर पर अपनी ड्यूटी के दौरान शहीद हो गया था।
 

हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश. किसी भी मां के लिए उसकी आंखों के सामने जवान बेटे की मौत जिंदगी का सबसे बड़ा सदमा होती है। फिर भी जिंदगी चलती रहती है, भले ही आंखों में आंसू लेकर। गमों का पहाड़ लेकर। लेकिन यह एक ऐसी मां की कहानी है, जो अपने बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसका हार्ट फेल हो गया। बेटा आर्मी में था और सियासिन ग्लेशियर के पास चाइना बार्डर पर अपनी ड्यूटी करते वक्त ब्रेन स्ट्रोक होने से शहीद हो गया था। बता दें कि शहीद वरुण शर्मा ने 15 साल पहले भारतीय सेना ज्वाइन की थी। वरुण शुरू से ही आर्मी में जाना चाहता था। जब उसका सिलेक्शन आर्मी में हुआ, तब वो बहुत खुश था। गांव दुलेड़ा पंचायत के प्रधान बलवंत धीमान गांव बताते हैं कि मां-बेटे के बीच ऐसा अटूट रिश्ता उन्होंने पहली बार देखा।


शहीद वरुण की मां विमला देवी 56 साल की थीं। वे पूरी तरह स्वस्थ थीं, लेकिन बेटे के अंतिम संस्कार के अगले दिन ही उनका हार्ट फेल हो गया। बुधवार सुबह उन्होंने दुनिया छोड़ दी। उल्लेखनीय है कि वरुण शर्मा का चंडीगढ़ में इलाज के दौरान गत 29 दिसंबर को निधन हो गया था। वे सियाचिन श्लेशियर के पास चाइना बार्डर पर तैनात थे।

ड्यूटी के दौरान ही 20 दिसंबर को उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। वहां से उन्हें बर्फबारी और ठंड के चलते वहां ड्यूटी करना बहुत कठिन होता है।  31 दिसंबर को उनका हमीरपुर में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया था। बेटे की मौत के बाद से ही विमला देवी गुमसुम हो गई थीं।