सार
विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 70 में से 47 सीटें जीतकर सरकार बनाई है। लेकिन मुख्यमंत्री खटीमा से चुनाव हार गए थे। उन्हें छह महीने के अंदर विधानसभा की सदस्यता लेनी पड़ेगी। अभी तक सभी के मन में सवाल था कि आखिर वे किस सीट से उपचुनाव लड़ेंगे।
देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में खटीमा सीट से हारने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) चंपावत से उपचुनाव लड़ेंगे। चंपावत सीट से बीजेपी विधायक कैलाश चंद्र गहतोडी (Kailash Chandra Gahtori) के गुरुवार को इस सीट खाली करने के बाद उनका रास्ता साफ हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गहतोडी अबी दिल्ली में हैं और वह विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी से मिलकर उन्हें इस्तीफा सौंपेंगे।
गहतोडी ने सबसे पहले दिया था प्रस्ताव
खटीमा सीट गंवाने के बाद से ही सीएम धामी के लिए कई विधायकों ने अपनी सीट छोड़ने का प्रस्ताव दिया था लेकिन चंपावत विधायक गहतोड़ी ने सबसे पहले अपनी सीट खाली करने का ऐलान किया था। दोबारा सीएम बनने के बाद सीएम चंपावत दौरे पर पहुंचे थे, तभी से अटकलें थी कि वे यहीं से उपचुनाव के मैदान में उतरेंगे। बता दें कि सीएम को छह महीने के अंदर किसी भी सदन की सदस्यता लेनी पड़ती है। राज्य में विधान परिषद नहीं है तो उन्हें विधानसभा की सदस्यता लेनी जरुरी है।
चंपावत में हमेशा भगवा लहराया
चंपावत (Champawat) भारतीय जनता पार्टी (BJP) का गढ़ रहा है। यह सीट अल्मोड़ा में आती है। यहां से अजय टाम्टा सांसद हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में यहां 50.26 फीसदी वोट पड़े। भाजपा के कैलाश गहतोड़ी ने कांग्रेस के हेमेश खार्कवाल को 5304 वोटों से हराया था। जातीय समीकरण के हिसाब से यह सीट सीएम धामी के लिए काफी खास मानी जा रही है। यहां की आबादी का 54 प्रतिशत ठाकुर वोटर्स हैं जबकि 24 फीसदी ब्राह्मण, 18 प्रतिशत दलित और चार फीसदी मुस्लिम वोटर भी यहां पर हैं। यह सीट खटीमा से लगी हुई है।
कब होगा उपचुनाव
विधायक गहतोड़ी के इस्तीफे के बाद विधानसभा सचिवालय की तरफ से चुनाव आयोग को एक सीट खाली होने की सूचना दी जाएगी। इसके बाद आयोग उपचुनाव की तैयारी करेगा। संवैधानिक तौर पर देखें तो अगर सबकुछ ठीक रहा तो जून तक उपचुनाव हो सकता है। सीएम धामी भी जल्द से जल्द विधानसभा की सदस्यता लेना चाहते हैं। भाजपा ने भी उपचुनाव की तैयारी कर ली है।
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