सार

लोगों की नजरों से बचकर अपने ब्वॉयफ्रेंड के संग बालकनी में खड़ी नाबालिग प्रेमिका को इसका अंदाजा नहीं था कि यह बच्ची उसे देख लेगी। यह बच्ची घरवालों को न बता दे, इससे बौखलाई प्रेमिका ने बच्ची का जोर से गला पकड़ लिया। बच्ची ने जब छूटने की हिम्मत दिखाई, तो उसका सिर दीवार से दे मारा। तब से बच्ची कोमा में है। जुर्म को छुपाने के लिए आरोपी लड़की ने अपने नाखून काट लिए थे, ताकि बच्ची के गले पर पड़ीं खरोंचों से पुलिस उस तक न पहुंच सके।


चंडीगढ़. इस बच्ची का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने अपने पड़ोस में रहने वाली दीदी को उसके ब्वॉयफ्रेंड के साथ बालकनी में देख लिया था। तब से यह बच्ची कोमा में है। उसे मारने की कोशिश की गई थी। दरअसल, लोगों की नजरों से बचकर अपने ब्वॉयफ्रेंड के संग बालकनी में खड़ी नाबालिग प्रेमिका को इसका अंदाजा नहीं था कि यह बच्ची उसे देख लेगी। यह बच्ची घरवालों को न बता दे, इससे बौखलाई प्रेमिका ने बच्ची का जोर से गला पकड़ लिया। बच्ची ने जब छूटने की हिम्मत दिखाई, तो उसका सिर दीवार से दे मारा। तब से बच्ची कोमा में है। जुर्म को छुपाने के लिए आरोपी लड़की ने अपने नाखून काट लिए थे, ताकि बच्ची के गले पर पड़ीं खरोंचों से पुलिस उस तक न पहुंच सके। चंडीगढ़ के पीजीआई के आईसीयू में भर्ती यह बच्ची है 9 साल की कीर्ति मिश्रा। पिछले एक महीने से यह इसी तरह कोमा में है। डॉक्टरों ने आशंका जताई है कि शायद ही यह बच्ची कभी बोल-सुन पाए। 

गले पर नाखूनों के निशान से पकड़ी गई...
पुलिस के अनुसार 15 मई की शाम करीब 7 बजे कीर्ति बॉल लेकर खेलने निकली थी। लेकिन जब बहुत देर तक बच्ची घर नहीं लौटी, तो परिजनों को चिता हुई। वे उसे ढूंढते हुए बाहर आए। देखा कि बच्ची आंगन में बेहोश पड़ी है। उसे फौरन मनीमाजरा के सिविल हॉस्पिटल ले जाया गया। वहां से उसे पीजीआई रेफर कर दिया गया। हालांकि पुलिस ने अगले ही दिन आरोपी लड़की को पकड़ लिया था, लेकिन उसे जुर्म छुपाने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। लड़की ने बच्ची का गला दबाकर मारने की कोशिश की थी। फिर दीवार से उसका सिर दे मारा। इस दौरान उसके नाखून बच्ची की गर्दन पर चुभ गए थे। जब पुलिस लोगों के नाखून चेक कर रही थी, तो लड़की पहले ही नाखून काट चुकी थी। बस, इसी शक में वो पकड़ी गई। बाद में उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया।

पिता बोला- मैं बेटी के इलाज के लिए कहां से पैसे लाऊं
अपनी बच्ची की जिंदगी बचाने एक पिता सबके आगे हाथ फैला रहा है। कीर्ति के पिता दिव्य प्रकाश पंचकूला सेक्टर-4 में एक मिठाई की दुकान पर सिक्योरिटी गार्ड थे। लॉकडाउन में यह मामूली-सी नौकरी भी जाती रही। यहां-वहां से उधार लेकर बच्ची का इलाज कराते रहे। अब सबने हाथ खड़े कर दिए। पिता रोते हुए कहता है कि अब वो बच्ची के इलाज के लिए कहां से पैसों का इंतजाम करे? बच्ची का इलाज कर रहे डॉक्टर कहते हैं कि गला दबाने से बच्ची के दिमाग तक ऑक्सीजन नहीं पहुंची। इससे ब्रेन अपनी जगह से हिल गया है। हालांकि ऐसा नहीं है कि वो ठीक नहीं हो सकती। लेकिन इसकी उम्मीद न के बराबर है।